नई दिल्ली, 16 नवम्बर (हि.स.)। 15वें वित्त आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए अपनी रिपोर्ट सोमवार को सौंप दी। इससे पहले एन. के. सिंह की अध्यक्षता वाले इस आयोग ने राष्ट्पति रामनाथ कोविंद को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट को ‘कोविड काल में वित्त आयोग’ नाम दिया गया है। वित्त आयोग 17 नवम्बर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी रिपोर्ट की एक कॉपी सौंपेगा।
भारत सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ इस रिपोर्ट को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश करेंगी। संसद में पेश किए जाने के बाद इस रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा। 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में 2021-22 से लेकर 2025-26 यानि 5 वित्त वर्षों के लिए सिफारिशें की गई हैं। इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयोग की रिपोर्ट दिसम्बर 2019 में राष्ट्रपति को सौंपी जा चुकी है, जिसको केंद्र सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ संसद में पेश किया गया था।
आयोग ने चार वॉल्यूम में पेश किया रिपोर्ट
15वें वित्त आयोग ने चार वॉल्यूम में तैयार अपनी सिफारिश रिपोर्ट में विभिन्न विषयों और पहलुओं का विश्लेषण किया है। रिपोर्ट में वर्टिकल और हॉरिजोनटल टैक्स डिवोल्यूशन, स्थानीय सरकार अनुदान (एजीजी), आपदा प्रबंधन अनुदान (डीएमजी) जैसे विषयों पर रोशनी डाली गई है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में पावर सेक्टर, डायरेक्ट टू बेनिफिट (डीबीटी) को अपनाने और सूखा कचरा प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) जैसे क्षेत्रों में राज्यों को दिए जाने वाले परफॉर्मेंस इंसेटिव की समीक्षा की बात रिपोर्ट में की गई है।
15वें वित्त आयोग में ये सदस्य थे शामिल
उल्लेखनीय है कि संविधान के सेक्शन-280 के क्लॉज-1 के तहत राष्ट्रपति ने 15वें वित्त आयोग का गठन किया था। इस आयोग का अध्यक्ष एनके सिंह को बनाया गया था, जबकि इसके सदस्यों में शक्तिकांत दास, प्रो. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिडी और डॉ. रमेश चंद शामिल थे। अरविंद मेहता को इसका सचिव बनाया गया था। हालांकि, शक्तिकांत दास के इस्तीफा देने पर अजय नारायण झा को आयोग का सदस्य बनाया गया था।