आसमानी हलचल बढ़ी एलएसी पर भारत और चीन के लड़ाकू विमानों की

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पूर्वी लद्दाख के सामने​ चीन लड़ाकू विमानों ​के साथ कर रहा है हवाई अभ्यास चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान बॉर्डर के बेहद करीब उड़ान भरते देखे गए भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान भी लगातार कर रहे हैं सीमा की चौकसी 



​नई दिल्ली, 09 जून (हि.स.)​​​​​​। पूर्वी लद्दाख में ​वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले तीन दिनों से भारत और चीन के लड़ाकू विमानों की आसमानी हलचल बढ़ी है​। ​दोनों देशों की वायुसेनाओं के कई फाइटर जेट ​24 घंटे सीमा के करीब मंडरा रहे हैं।​ इसकी वजह यह है कि चीनी वायुसेना पूर्वी लद्दाख के सामने करीब दो दर्जन चीनी ​​लड़ाकू विमानों ​के साथ अभ्यास​ कर रही है​। ​चीन की हरकतों पर ​पैनी नजर रखने के लिए भारतीय वायुसेना के भी लड़ाकू विमान लगातार उड़ान भर रहे हैं​। ​​
​लद्दाख बॉर्डर पर जमीन से आसमान तक तनाव ​के बीच इन दिनों आसमान में दोनों देशों की हवाई हलचल बढ़ गई है। सोमवार को दिन में भी बॉर्डर पर चीन के जे-20 ​और ​जे-16​ ​​विमानों ने लद्दाख इलाके के आसपास उड़ान भरी और रात में भी चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान बॉर्डर के बेहद करीब उड़ान भरते देखे गए। भारतीय वायुसेना भी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के सात एयरबेस पर नजर बनाए हुए है और लड़ाकू विमान लगातार सीमा की चौकसी कर रहे हैं​​।​ मंगलवार को भी दिन में लगभग ​दो दर्जन चीनी लड़ाकू विमानों ​ने ​​पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सामने एक अभ्यास किया​​ जिसे भारतीय पक्ष ने करीब से देखा।​ ​​चीनी विमानों के अभ्यास में मुख्य रूप से जे-11 शामिल है​ जिसे सुखोई-27 लड़ाकू विमानों की चीनी ​डुप्लीकेट माना जाता है​।​
भारत और चीन के बीच एक साल से ​चल रहे ​सैन्य गतिरोध के कारण​ भारतीय वायुसेना ने​ पहले से ही लड़ाकू विमान​ राफेल के साथ ही मल्टी रोल कम्बैक्ट मिराज-2000, सुखोई-30एस और जगुआर की ऐसी जगह तैनाती कर रखी है जहां से एलएसी पर नजर रखी जा सके।​ लद्दाख क्षेत्र में भारतीय लड़ाकू विमानों की गतिविधि पिछले साल से काफी बढ़ गई है। इस साल चीनी सैनिकों और वायु सेना की गर्मियों में तैनाती के बाद​ ​भारतीय वायु सेना भी लद्दाख में मिग-29​के सहित अपने लड़ाकू विमानों की टुकड़ी नियमित रूप से तैनात कर रही है।​ भारतीय वायु सेना लद्दाख क्षेत्र में चीनियों पर बढ़त रखती है क्योंकि उनके लड़ा​कू विमानों को बहुत ऊंचाई वाले ठिकानों से उड़ान भरनी होती है, जबकि भारतीय बेड़ा मैदानी इलाकों से उड़ान भर​कर कुछ ही समय में पहाड़ी क्षेत्र तक पहुंच सकता है।
​​​सूत्रों ने कहा कि चीनी विमान हवाई अभ्यास के दौरान अपने क्षेत्र के भीतर ही रहे।​ ​भारत ने झिंजियांग और तिब्बत क्षेत्र में होटन, ​​गर्गुनसा​, काशघर, होपिंग, डकोंका द्ज़ोंग, लिंझी और पंगत ​​एयरबेस में हवाई क्षेत्रों सहित चीनी वायु सेना की गतिविधियों को करीब से देखा।​ चीन​ ने ​भारत से गतिरोध बढ़ने के बाद एक साल के भीतर अपने ​उक्त एयरबेस​ को ​अपग्रेड किया है। ​चीन के इन हवाई अड्डों पर ​लड़ाकू विमानों को छिपाने के लिए ठोस निर्माण किये गए हैं जिनकी पुष्टि सेटेलाइट तस्वीरों से भी हुई है।​ चीन ने ​भारत से समझौते के बाद पैन्गोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को हटा लिया है, लेकिन अपनी वायु रक्षा प्रणालियों को ​अब तक नहीं हटाया है जो लंबी दूरी पर विमानों को निशाना बना सकते हैं​​।
चीनी ​सेना ​एलएसी ​के करीब ​हर साल​ मई के आसपास अभ्यास करने के लिए आती है, ​जिस पर भारत की नजर रहती है।​ इसीलिए पिछले साल भी चीन की तरफ से ​हुआ मोबलाइजेशन ​भारत के लिए नया नहीं था। ​भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे​ भी मान चुके हैं कि पिछले साल के चीनी अभ्यास पर ​​हमारी नजर थी परन्तु वह ऐसा करेंगे, ऐसा अंदाजा नहीं लगाया जा ​सका था। ​नतीजतन चीन के सैनिक पिछले साल मई में कई भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा जमाकर बैठ गए​।​ इसी तरह ​हर साल ​​गर्मियों में​ ​​​चीनी सैनिक ​​तिब्बत पठार में​ ​​ट्रेनिंग के लिए आते हैं और सर्दियों में वापस चले जाते हैं। ​​

 


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