लॉस एंजेल्स 14 फ़रवरी (हिस): दुनिया में सबसे बड़ी 22 खरब डालर की अमेरिकी इकानमी डावाँडोल है। इस कोविड-19 के चलते बड़े और मझले दर्जे के कारोबार सिमट रहे हैं, बेरोज़गारी दिनों दिन बढ़ रही है। निवेशक पूँजी लगाने में संकोच कर रहे हैं, वाल स्ट्रीट स्टाक मार्केट की स्थिति कोई अच्छी नहीं है, इसका असर एशियाई स्टाक मार्केट पर पड़ रहा है। फ़ेड रिज़र्व के चेयरमैन जेराम पावेल ने कड़ी चेतावनी दी है कि नीति निर्धारकों ने मार्केट में और आर्थिक पैकेज की संजीवनी नहीं दी तो भविष्य में वैश्विक इकानमी को ऊपर उठाने में बहुत देर हो जाएगी। उनका यह भी कहना था कि दिवालियेपन की घटनाएँ बढ़ेंगी और बेरोज़गारी चरमसीमा पर पहुँच जाएगी। अभी तक साढ़े तीन करोड़ लोग बेरोज़गार हैं, उन्हें बेरोज़गारी बीमा राशि मिल नहीं रही है।
विदित हो, अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों ही पार्टियों ने संयुक्त प्रयासों से दो बार खरबों डालर के प्रस्तावों पर मंज़ूरी दी है। कांग्रेस के निचले सदन में डेमोक्रेटिक बहुल पार्टी की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने बुद्धवार को तीन खरब डालर के आर्थिक पैकेज दिए जाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सहित रिपब्लिकन पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने यह कह कर इस प्रस्ताव को नज़रंदाज कर दिया कि डेमोक्रेट बहुल राज्य कारोबार को पटरी पर लाने के लिए ख़ुद गंभीर नहीं हैं। रिपब्लिकन पार्टी को भय है कि पहले से ही घाटे के बजट में वृद्धि होती जा रही है, जो अभी तीन खरब सात सौ अरब डालर तक पहुँच चुकी है। फ़ेडरल ट्रेज़री पर भी क़रीब 24 खरब का ऋण है।
जेराम पावेल ने बुद्धवार की सायं ‘पीटरसन इंस्टिट्यूट फ़ार इंटरनेशनल इकानिमिक्स’ आनलाइन संबोधन में अर्थ शास्त्रियों, बड़े कारोबारियों और नीति निर्माताओं के बीच कड़े शब्दों में कहा कि बेशक अतिरिक्त वित्तीय सहायता महँगी साबित होगी, पर यह ज़रूरी है। इस आर्थिक सहायता के बल पर दीर्घावधि तक चलने वाली आर्थिक मंदी की पीड़ा से उबरा जा सकता है। आज की आर्थिक सहायता आने वाली आर्थिक सुदृढ़ता की परिचायक होगी। हालाँकि हाल में कांग्रेस की ओर से दो खरब डालर के आर्थिक पैकेज दिए जाने का उन्होंने स्वागत किया। पावेल के इस कथन का स्टाक मार्केट पर ज़्यादा असर भले नहीं हुआ, व्हाइट हाउस की ओर से बुधवार को ही एक संकेत गया कि अमेरिका और चीन के बीच दो वर्षों से चले आ रहे कारोबारी जंग को पूर्ण विराम भले ही नहीं दे पाएँ, इसे अस्थाई तौर पर विराम दिया जा सकता है।
उद्योगों
फ़ेड रिज़र्व चेयरमैन ने कहा कि उनके हाथ बँधे हुए हैं, ब्याज दरें पहले से ही शून्य पर सिमट चुकी हैं। फ़ेड रिज़र्व अरबों खरबों डालर के राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों और कंपनियों के बांड ख़रीद रहा है और कुटीर तथा बतौर संजीवनी लघु उद्योगों को ऋण राशि के रूप वितरित की जा रही है। इसके बावजूद वह मर्यादा में बंधा है। ख़र्चे का अधिकार, उनका नहीं कांग्रेस का है। उन्होंने कहा कि ऋण दिए जाने की भी एक सीमा है, इसके लिए वसूली पक्ष भी उतना ही ज़रूरी है। ऐसी स्थिति में वसूली पक्ष की रफ़्तार धीमी होती है, तो निस्संदेह आर्थिक मंदी दूसरे विश्व युद्ध के बाद की स्थिति से भी भयावह होगी। ट्रम्प की ओर से चीन के साथ अस्थाई व्यापार संधि के संकेतों और फ़ेड रिज़र्व की चेतावनी से कच्चे तेल की क़ीमतों में स्थिरता आई है, स्टाक मार्केट ज़्यादा टूटने से बची है और एशियाई स्टाक मार्केट का भी वाल स्ट्रीट पर ज़्यादा असर नहीं रहा है।
बुद्धवार को वाल स्ट्रीट में तीनों इंडेक्स एस एंड पी 500, डाव जोंस और नेस्डेक में मामूली गिरावट का असर एशियाई मार्केट पर भी पड़ा है। दक्षिण कोरिया, जापान, हांगकांग और शंघाई स्टाक मार्केट में क़रीब एक प्रतिशत की गिरावट देखी गई।