फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी हटी, हिरासत से सात महीनों बाद आए बाहर

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नई दिल्ली, 13 मार्च (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला से नजरबंदी हटा दी गई है। पिछले साल 5 अगस्त 2019 में राज्य से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही प्रशासनिक हिरासत में नजरबंद किया गया था लेकिन अब 7 महीनों बाद वे हिरासत से बाहर आ गए हैं।

अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए)  के तहत उनके गुपकर रोड के आवास पर नजरबंद किया गया था। उनकी हिरासत की अवधि को इस बीच में दो बार बढ़ाया गया। सितंबर 15, 2019 को उनकी नजरबंदी बढ़ाई गई, इसके बाद 13 दिसंबर, 2019 को उनकी हिरासत फिर बढ़ाई गई थी। शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के होम डिपार्टमेंट की ओर से ऑर्डर रिलीज कर उनकी नजरबंदी हटा ली गई है।

इस संबंध में नेशनल कांफ्रेंस ने एक बयान जारी कर कहा है, ‘फारूक अब्दुल्ला को हिरासत से रिहा किया जाना जम्मू-कश्मीर में वास्तविक राजनीतिक प्रक्रिया को बहाल करने की सही दिशा में लिया गया कदम है’।पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि अब राज्य में हिरासत में लिए गए सभी नेताओं और जेल में बंद हजारों युवाओं को रिहा करने का वक्त है। ये काफी लंबे वक्त से चल रहा है और अब इसे खत्म करना ही होगा।

गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा लिया था और लद्दाख को इससे अलग कर दो राज्य बना दिए थे। अगले ही दिन फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सहित कई स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। सरकार ने फारूक अब्दुल्ला पर पीएसए लगाने के पीछे वजह दी थी कि राज्य की स्थिति देखते हुए उन पर यह एक्ट लगाया गया है। उनके सक्रिय रहने से राज्य में अशांति फैल सकती है।

करीब पांच दिन पहले राकंपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी, माकपा प्रमुख सीता राम येचुरी समेत विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं ने साझा बयान जारी करके प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृृहमंत्री से जम्मू-कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की रिहाई का आग्रह किया था। फिलहाल, डाॅ. फारुक अब्दुल्ला के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के अलावा पीडीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत करीब नौ नेता पीएसए के तहत बंद हैं। डाॅ. अब्दुल्ला की रिहाई के बाद जल्द ही इन नेताओं को भी पीएसए से मुक्त किए जाने की संभावना बढ़ गई है।

 


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