नागपुर, 11 नवम्बर (हि.स.)। महाराष्ट्र में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव नतीजों में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को बहुमत मिला। लेकिन शिवसेना सीएम पद को लेकर राजनीतिक उठापठक में व्यस्त है। राज्य में हुई बेमौसमी की वजह से महाराष्ट्र के कई इलाकों में सैकड़ों हेक्टर फसल बर्बाद हो गई है। एक ओर जहां किसानों को मुआवजे कि दरकार है,दूसरी ओर बीमा कंपनियों का रवैया गैरजिम्मेदाराना तो सत्ता में अडंगा बनी शिवसेना बेफिक्र नजर आ रही है।
महाराष्ट्र कि राजनीति में सत्ता का रास्ता विदर्भ के इलाके से हो कर गुजरता है। कुल 11 जिलों वाले इस क्षेत्र में विधानसभा कि 62 सीटें है। यह इलाका जिस पार्टी के साथ होता है सरकार उसी कि बनती है। लेकिन सत्ता में किंग मेकर कि भूमिका निभाने वाला विदर्भ और यहां के किसान बीते दिनों खेती कि बर्बादी और आत्महत्याओं के लिए निरंतर चर्चा में रहा है। बीते सप्ताह हुई बेमौसमी बारिश के चलते इलाके कि फसले बर्बाद हो गई। नतीजतन इलाके के किसान बदहाल परेशन हो रहे है।किसानों के आंसू पोछने की जिम्मेदारी जीन के कंधो पर है वह राजनेता सत्ता के गलियारो में चल रहे कुर्सी के खेल मे व्यस्त है।
विदर्भ में नागपुर और अमरावती ऐसे दो डिवीजन है। नागपुर डिवीजन को पूर्व और अमरावती को पश्चिम विदर्भ कहा जाता है। मौसम कि सबसे बडी मार अमरावती डिविजन के किसान बिते दो दशकों से झेल रहे है। बीते 20 सालो में विदर्भ मे 50 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके है। विदर्भ का इलाका कपास और सन्तरे के लिए जाना जाता है। इन प्रमुख फसलो के अलावा सोयाबिन, मका, तुवर, जवारी, धान, मुंग और तील कि फसले होती है।
बेमौसमी बरसात के चलते फसले बर्बाद और मुआवजा न मिलने कि वजह से किसान निराश हो चुका है।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष मौसम कि मार के चलते विदर्भ के नागपुर डिविजन में लगभग 1 लाख हेक्टर से अधिक फसल बर्बाद हो चुकी है। वही अमरावती डिवीजन में 11 लाख 74 हजार 215 हेक्टर कि फसल बर्बाद हुई है। कहने को तो इन किसानो कि फसलो को बिमा कवर मिला हुवा है। लेकिन मुनाफेखोर बिमा कंपनीया मुआवजे कि खानापुर्ती में किसानो को इस तरह से उलझा रही है कि, किसानो के सामने आंसू बहाने और आत्महत्या के सिवाय दुसरा विकल्प ही नही बचता।
शिवसेना के चलते सब बर्बादः-
कपास उगाने वाले किसान विनोद इंगले ने बताया कि, विदर्भ में बैंक और साहूकारों से कर्जा लेकर खेती करने वाले किसानों कि फसले बेमौसमी बारिश से तहस-नहस हो गई है। बीमा कंपनियां मुआवजा देने में आनाकानी कर रही है। सरकार से कुछ उम्मीद थी, लेकिन शिवसेना कि हटधर्मी के चलते सरकार बन नही रही नतीजतन हमारी स्थिति बदतर होती जा रही है।