लंदन, 05 दिसम्बर (हि.स.)। भारत में नए कृषि कानूनों के विरोध में 9 दिन से चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में ब्रिटेन के 36 सांसदों ने विदेश सचिव डोमिनिक राब को भारत पर दबाव बनाने के लिए पत्र लिखा है। ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी के नेतृत्व में सांसदों ने तत्काल बैठक बुलाकर ‘पंजाब में बिगड़ती स्थिति और केंद्र के साथ अपने संबंधों’ पर चर्चा करने का आह्वान किया।
पत्र में नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ के रूप में संदर्भित करते हुए कहा गया है कि भारत में किसानों का विरोध-प्रदर्शन ब्रिटेन में सिखों के लिए विशेष चिंता का विषय हैं क्योंकि यहां रह रहे पंजाबियों के पारिवारिक सदस्य और उनकी पैतृक भूमि पंजाब में हैं। सांसदों ने विदेश सचिव से कहा है कि भारत में भूमि और खेती के कार्य में लंबे समय से जुड़े ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों पर कानूनों के प्रभाव के बारे में भारतीय समकक्ष अधिकारियों के साथ बातचीत करें। साथ ही भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ राष्ट्रमंडल, विदेश और विकास कार्यालयों के जरिए बातचीत की जाए।
ब्रिटिश सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा कि बीते माह कई सांसदों ने विदेश सचिव डोमिनिक राब को और लंदन में भारतीय उच्चायोग को 3 नए भारतीय कृषि कानूनों के बारे में लिखा था। कोरोना महामारी के बावजूद भारत सरकार द्वारा लाए गए इन कानूनों में किसानों को शोषण से बचाने और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने में विफल रहने पर देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि, यह कानून अन्य भारतीय राज्यों पर भी भारी पड़ रहा है। फिर भी कई ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया है क्योंकि वे पंजाब में परिवार के सदस्यों और अपनी पैतृक भूमि से सीधे प्रभावित हैं।
पत्र में सिख काउंसिल यूके के एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया है कि पंजाब की 30 मिलियन यानी 3 करोड़ आबादी में से लगभग तीन चौथाई कृषि व्यवसाय से जुड़ी है। इसलिए नए कानून पंजाब के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आये हैं। पंजाबी कृषक समुदाय को राज्य की आर्थिक संचरना में रीढ़ की हड्डी के रूप में पहचाना जाता है। इसलिए यहां के किसानों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में शक्तिशाली प्रभाव के रूप में देखा जाता है।
इस पत्र में ब्रिटिश सिख लेबर सांसद तान ढेसी के अलावा हस्ताक्षर करने वाले 35 सांसदों में पंजाबी मूल के लेबर सांसद वीरेंद्र शर्मा, नादिया व्हिटोम और सीमा मल्होत्रा, पूर्व लेबर नेता जेरेमी कॉर्बिन सांसद, भारतीय मूल के सांसद वेलरी वाज़ और लिबरल डेमोक्रेट्स सांसद मुनीरा विल्सन शामिल हैं। इसके अलावा दो कंजर्वेटिव सांसदों और तीन एसएनपी सांसदों ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।