कोरोना से निधन राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया का
जयपुर, 20 मई (हि.स.)। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार-हरियाणा के राज्यपाल रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता जगन्नाथ पहाड़िया का कोरोना से निधन हो गया। उन्होंने गुरुग्राम के अस्पताल में बुधवार देर रात अंतिम सांस ली। वे कोरोना संक्रमित थे।
पहाड़िया के निधन पर राजस्थान सरकार ने एक दिन के राजकीय शोक और सरकारी कार्यालयों को बंद रखने की घोषणा की है। सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। गुरुवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक होगी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री पहाड़िया के निधन पर शोकाभिव्यक्ति होगी।
उल्लेखनीय है कि पहाड़िया 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 तक मात्र 13 महीने ही राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। 13 महीने के छोटे से कार्यकाल में पहाड़िया ने प्रदेश में पूरी तरह शराबबंदी लागू की। पहाड़िया 1957, 67, 71 व 80 में चार बार सांसद और 1980, 1985, 1999 और 2003 में विधायक रहे। वे इंदिरा गांधी कैबिनेट में मंत्री भी रहे। उनके पास वित्त, उद्योग, श्रम, कृषि जैसे विभाग रहे। वे 1989 से 90 तक एक साल के लिए बिहार और 2009 से 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल भी रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया राजस्थान के अनुसूचित वर्ग से एकमात्र मुख्यमंत्री रहे हैं। उनसे पहले और उनके बाद भी कोई अनुसूचित वर्ग का नेता राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बना। भरतपुर के भुसावर में एक दलित परिवार में पैदा हुए पहाड़िया शुरू से ही बेबाक थे। उनकी बेबाकी ही उनके राजनीति में आने का कारण बनी।
पहाड़िया के निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस-भाजपा के कई नेताओं ने संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट किया “ प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के निधन की खबर बेहद दुखद है। पहाड़िया ने मुख्यमंत्री के रूप में, राज्यपाल के रूप में, केंद्रीय मंत्री के रूप में लम्बे समय तक देश की सेवा की, वे देश के वरिष्ठ नेताओं में से थे। पहाड़िया हमारे बीच से कोविड की वजह से चले गए, उनके निधन से मुझे बेहद आघात पहुंचा है। ईश्वर से प्रार्थना है शोकाकुल परिजन को इस कठिन समय में सम्बल दें एवं दिवंगत की आत्मा को शांति प्रदान करें। प्रारम्भ से ही उनका मेरे प्रति बहुत स्नेह था, श्री पहाड़िया के जाने से मुझे व्यक्तिगत क्षति हुई है।”
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता मास्टर आदित्येंद्र 1957 में जगन्नाथ पहाड़िया को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिलाने ले गए। उस वक्त पहाड़िया की उम्र केवल 25 साल थी। पंडित नेहरू ने युवा पहाड़िया से देश प्रदेश के हालात के बारे में पूछा। पहाड़िया ने बेबाकी से कहा था कि बाकी तो सब ठीक है लेकिन दलितों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा। इसपर पंडित नेहरू ने उन्हें चुनाव लड़ने को कहा, वे तत्काल तैयार हो गए। देश के दूसरे चुनाव 1957 में पहाड़िया सवाईमाधोपुर से सांसद का चुनाव जीते। इस तरह से पहाड़िया का चुनावी सफर शुरू हुआ था।
पहाड़िया संजय गांधी के बहुत करीब थे। उनके मुख्यमंत्री बनने का सबसे बड़ा कारण उनकी संजय गांधी से करीबी होना ही था। इंदिरा गांधी के भी नजदीक थे, संजय गांधी के निधन के बाद उनकी धमक कम हो गई, हालांकि वे 2008 तक सक्रिय राजनीति में रहे। इसके बाद एक दशक से ज्यादा वक्त से वे कभी कभार पार्टी के बड़े कार्यक्रमों में ही दिखते थे।