केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल अर्जुन मुंडा जाना-माना आदिवासी चेहरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठित नई केन्द्र सरकार में झारखंड से मंत्री बने अर्जुन मुंडा जाना-माना आदिवासी चेहरा हैं। वह राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गये हैं। इसबार वह खूंटी (सुरक्षित) लोकसभा सीट से जीते हैं। इससे पूर्व 2009 में वह जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुने गये थे।  



रांची, 31 मई (हि.स.)।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठित नई केन्द्र सरकार में झारखंड से मंत्री बने अर्जुन मुंडा जाना-माना आदिवासी चेहरा हैं। वह राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गये हैं। इसबार वह खूंटी (सुरक्षित) लोकसभा सीट से जीते हैं। इससे पूर्व 2009 में वह जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुने गये थे।

अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर

झारखंड के जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में अर्जुन मुंडा का जन्म 5 जून 1968 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। मुंडा बिहार और झारखंड विधानसभा में खरसांवा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रह चुके हैं।

अर्जुन मुंडा का राजनीतिक सफर 1980 से शुरू हुआ। उस वक्त अलग झारखंड आंदोलन का दौर था। अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरुआत झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से की। झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहते हुए उन्होंने जनजातीय समुदायों और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान की कोशिश की। 1995 में वह झामुमो उम्मीदवार के तौर पर खरसावां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने भाजपा का रुख किया। 2000 और 2005 में वह भाजपा के टिकट पर खरसावां से विधायक बने।

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद 2000 में अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी सरकार में समाज कल्याण मंत्री बने। वर्ष 2003 में विरोध के कारण बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। यही वो वक्त था, जब मुंडा एक मजबूत नेता के रूप में उभरे। 18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन निर्दलियों का समर्थन नहीं जुटा पाने के कारण उन्हें 14 मार्च 2006 को त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बाद मुंडा झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। 11 सितम्बर 2010 को वह तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।

पारिवारिक जीवन

पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे अर्जुन मुंडा ने स्थानीय स्कूल से पढ़ाई करने के बाद इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में डिप्लोमा किया। अर्जुन मुंडा ने मीरा मुंडा से शादी की और उनके तीन बेटे हैं।


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