मौत की सजा का अंत बेहद जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

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कोर्ट ने कहा, अंतहीन मुकदमेबाजी की अनुमति नहीं दी जा सकती



नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौत की सजा का अंत बेहद जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि दोषी को इस सोच में नहीं रहना चाहिए कि मौत की सजा हमेशा खुली रहेगी और वो जब चाहे इसे चुनौती दे सकता है, जैसा कि हाल की घटनाओं में पता चला है। कोर्ट ने कहा अंतहीन मुकदमेबाजी की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये तल्ख टिप्पणी उत्तर प्रदेश में सात हत्याओं के गुनाहगार सलीम और शबनम की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने कहा कि हमारे फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। फांसी की सजा को स्वीकार किया जाना चाहिए, आजकल ऐसा नहीं हो रहा है।
सलीम और शबनम के वकील आंनद ग्रोवर ने गरीबी और अशिक्षा का हवाला देते हुए सजा में रहम की मांग की। कोर्ट ने कहा कि देश मे बहुत से लोग गरीब और अशिक्षित हैं, आप पुनर्विचार याचिका पर बहस कर रहे हैं। आप ये बताइए कि सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा देने के अपने फैसले में कहां गलती की है। शबनम के वकील ने कहा कि जेल में शबनम के व्यवहार पर रिपोर्ट दाखिल करने की इजाज़त दी जाए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप केस के इस स्टेज पर उसको दाखिल करना चाहते हैं, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम अब यह देखें की सजा के बाद दोषी का किस तरह का बर्ताव रहा है, सज़ा के बाद उसके बर्ताव के आधार पर कैसे फैसला दे सकते हैं। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती वरना दूसरे दोषी भी इसी आधार पर कोर्ट आने लगेंगे और सजा माफ करने की मांग करेंगे। इससे दोषियों के लिए एक अनावश्यक रास्ता खुल जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शबनम और सलीम की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में यह माना है कि यह रेयर ऑफ द रेयरेस्ट अपराध था। बहुत सोच समझ कर लोगों की हत्या की। उसको किसी पर दया नहीं आई। वह लोगों की लाश के साथ बैठी हुई थी। कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि सात लोगों की हत्या की दोषी शबनम और सलीम की मौत की सजा को कम किया जाए या नहीं।
उप्र के अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में रहनेवाली शबनम ने दस साल पहले अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी। उसने अपने परिवार के सात लोगों का गला काट दिया। इस घटना के दो साल बाद अमरोहा के सेशंस कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। शबनम का परिवार उसकी सलीम के साथ शादी का विरोध कर रहा था।

 


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