कोटा, 25 जून (हि.स.)।राजस्थान की पांचों बिजली कंपनियों में बढ़ते घाटे के कारण सेवानिवृत अभियंताओं व कर्मचारियों की पेंशन योजना पर आर्थिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राज्य विद्युत उत्पादन निगम, राज्य प्रसारण निगम तथा जयपुर, जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम कंपनियों को वर्ष 2018-19 में सेवानिवृत 45000 कर्मचारियों व अफसरों को पेंशन देने के लिये 1180 करोड़ रुपये पेंशन कोष में जमा करवाना था लेकिन कंपनियों ने इस वर्ष मात्र कुल 225.25 करोड़ रुपये की राशि ही जमा कराई है। दूसरी ओर सभी सेवानिवृत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पेंशन फंड में पर्याप्त राशि जमा नहीं करवाकर 1180 करोड़ रुपये के भगुतान भी कर दिए गए।
राजस्थान विद्युत उत्पादन कर्मचारी संघ, कोटा के अध्यक्ष रामसिंह शेखावत ने बताया कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 में जयपुर डिस्कॉम ने पेंशन फंड में 168 करोड़ रुपये जमा किए जबकि 318.55 करोड़ रुपये की पेेंशन का भुगतान कर चुके हैं। अजमेर डिस्कॉम ने पेंशन फंड में 39.60 करोड़ ही जमा किए जबकि 306.18 करोड़ रुपये की पेेंशन का भुगतान कर दिया है। इसी तरह जोधपुर डिस्काम ने पेंशन फंड में मात्र 17.60 करोड़ जमा किए जबकि 253.20 करोड़ रुपये का पेेंशन भुगतान कर चुके हैं। कोटा संभाग के 15 हजार से अधिक सेवानिवृत विद्युत कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे।
854.80 करोड़ रुपये पेंशन फंड में जमा नहीं
बिजलीघरों को संचालित करने वाले राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड(आरवीयूएनएल) ने 18.19 करोड़ की राशि पेंशन कोष में जमा की जबकि सेवानिवृत कर्मचारियों एवं अधिकारियों को 49.18 करोड़ रुपये की पेंशन का भुगतान किया जा चुका है। कुल मिलाकर पांचों विद्युत कंपनियां वर्ष 2018-19 में 225.25 करोड रुपये की राशि ही पेंशन कोष में जमा करवा सकीं जबकि सेवानिवृत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 1180 करोड़ रुपये की पेंशन राशि का भगुतान कर दिया गया। इससे स्पष्ट है कि गत वर्ष 854.80 करोड़ की राशि पेंशन फंड में जमा नहीं हुई है। उल्लेखनीय है राज्य की चारों विद्युत कंपनियां प्रतिवर्ष पेंशन राशि राजस्थान प्रसारण निगम को जमा करवाती हैं।
भ्रष्टाचार पर नहीं लगी रोक
कोटा के अध्यक्ष रामसिंह शेखावत ने बताया कि विद्युत कंपनियों द्वारा पेंशन फंड में प्रतिमाह निर्धारित राशि जमा नहीं कराने से विद्युत कर्मचारियों में भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। वर्ष 2018-19 के आंकडों पर गौर करें तो पांचों बिजली कंपनियों पर 13,500 करोड़ रुपये की राशि बकाया चल रही है, जिससे निकट भविष्य में पेंशन भुगतान के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे संकट में राज्य सरकार को बिजली कंपनियों को सब्सिडी आवंटित कर आर्थिक राहत देनी होगी तथा बिजलीघरों व प्रसारण-वितरण तंत्र में रख-रखाव के नाम पर करोड़ों रुपयों की सामग्री खरीदने में जारी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कडे़ कदम उठाने होंगे। विद्युत उत्पादन निगम के बिजलीघरों में मेंटीनेंस विभागों में कई अभियंता वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, ठेकेदारों से मिलीभगत कर वे निगम को करोड़ों रूपये की आर्थिक हानि पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कर घाटे की भरपाई की जानी चाहिए ।