झारखंड : हाजी का खेल बिगाड़ सकते हैं सहिम, पलिवार को मिल रही है चुनौती

0

राजपलिवार ने 2014 के विधानसभा चुनाव में हाजी हुसैन अंसारी को 6 हजार से ज्यादा मतों से हराया था।



देवघर, 08 नवम्बर (हि.स.)। देवघर के मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। भाजपा के लिए महत्वपूर्ण इस सीट पर झामुमो, झाविमो सहित निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव तिथि घोषणा होते ही अपना-अपना दावा मजबूत करने में जुटे हैं।

मधुपुर विधानसभा क्षेत्र पर इस समय भाजपा से राज्य सरकार के श्रम मंत्री राज पलिवार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उन्होंने यह सीट झामुमो के मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी को शिकस्त देकर हासिल की थी। राजपलिवार ने 2014 के विधानसभा चुनाव में हाजी हुसैन अंसारी को 6 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। वर्तमान में राज पलिवार राज्य सरकार द्वारा चलाये गए विकासोन्मुखी योजनाओं सहित नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के सहारे अपना दावा पुख्ता करने में लगे हैं।

जिले के मधुपुर विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 5,52,413 है जिसमें 2,82,634 पुरुष मतदाता हैं वहीं 2,69,779 महिलाओं की संख्या है। जानकारों की मानें तो मधुपुर विधानसभा सीट के लिए अभी दावेदार के तौर पर भाजपा से श्रम मंत्री राज पलिवार, झामुमो से पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, कांग्रेस से फैयाज कैसर, झाविमो से सहिम खान और निर्दलीय गंगा नारायण सिंह ताल ठोकते नज़र आ रहे हैं।

जानकारों की मानें तो भाजपा से यह सीट छीनने के लिए झामुमो जहां अपनी अल्पसंख्यक छवि और वोटबैंक के सहारे दाव चल रहा है। वहीं झामुमो के इस दाव को पलीता लगाने के लिए झाविमो के सहिम खान और कांग्रेस के फैयाज कैसर एड़ी-चोटी का जोर अभी से ही लगाये हुए हैं। इसलिए झामुमो के लिए जीत की राह आसान नहीं है। उधर, भाजपा के किले में सेंध लगाने के लिए समाजसेवी गंगा नारायण सिंह ने भी अपनी ताकत अभी से झोंक दी है। गंगा नारायण सिंह की अनदेखी मधुपुर के सियासी सूरमाओं को महंगी पड़ सकती है।

मधुपुर चुनावी समर की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की संख्या काफी अधिक है जो जातीय समीकरण के तहत झामुमो की ओर झुकाव रखते हैं। वहीं भाजपा अपने परम्परागत वोटरों के साथ-साथ राज्य सरकार के कार्यों और नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व को साधने के अतिरिक्त राज पलिवार द्वारा कराए गए कार्यों को आधार बनाकर चुनावी समर में कूदने की तैयारी कर रही है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जातीय गणित के लिहाज से भी निर्णय प्रभावित होते रहे हैं, ऐसे में जाति विशेष के आधार पर यदि झामुमो का पलड़ा झुका तो भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का मंसूबा रखने वाले गंगा नारायण सिंह से परे वोटर भाजपा की झोली में वोट डाल सकते हैं क्योंकि अबतक की परिपाटी यही रही है।

बहरहाल, विधानसभा चुनाव में यदि विपक्ष एकजुट रहा तो भाजपा की राह आसान नहीं रह जायेगी। वहीं, अगर विपक्ष बंटा रहा तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *