ईडी के दो अधिकारी माओवादियों के रडार पर

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सूत्रों ने बताया कि इन दोनों अधिकारियों को माओवादियों से खतरे संबंधी रिपोर्ट सरकार से आने वाले दिनों में साझा की जाएगी तथा इस खतरे से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जाएं, इस पर भी विचार किया जाएगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय बिहार और झारखंड में माओवादियों को फंडिंग मामले की जांच कर रहे हैं।



नई दिल्ली, 25 जून (हि.स )। बिहार और झारखंड के कई जिलों में माओवादियों द्वारा जबरन वसूली को रोकने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने का काम पिछले दो वर्षों से कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो वरिष्ठ अधिकारी आतंकी गुटों के रडार पर हैं।
खुफिया सूत्रों से आज यहां मिली सूचनाओं के अनुसार इन दोनों अधिकारियों में एक संयुक्त निदेशक स्तर का है और दूसरा उसके तहत कार्यरत हैं। माओवादी इस बात से बहुत नाराज हैं कि दिल्ली में बैठे प्रवर्तन निदेशालय के ये अधिकारी उनके और उनके नेताओं के विरुद्ध कार्यवाही कर रहे हैं तथा उनकी संपत्तियों को जब्त कर रहे है ।
उल्लेखनीय है कि बिहार और झारखंड राज्यों में प्रवृत्त प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले डेढ़ वर्षों में अनेक माओवादी नेताओं की संपत्तियां जब्त की है। सूत्रों ने बताया कि माओवादियों के परिवार जन और करीबियों से पूछताछ के दौरान ही संयुक्त निदेशक का नाम लीक हो गया, जिस कारण माओवादी उन्हें अपना असली दुश्मन मान बैठे हैं।
सूत्रों ने बताया कि इन दोनों अधिकारियों को माओवादियों से खतरे संबंधी रिपोर्ट सरकार से आने वाले दिनों में साझा की जाएगी तथा इस खतरे से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जाएं, इस पर भी विचार किया जाएगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय बिहार और झारखंड में माओवादियों को फंडिंग मामले की जांच कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 5 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने पर एक शीर्ष माओवादी नेता की 86 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की थी। एजेंसी ने संदीप यादव उर्फ विजय यादव उर्फ़ रुपेश जी उर्फ बड़का भैया की संपत्ति जब्त की थी जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की बिहार झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के मध्य जोन का प्रभारी था और वर्तमान में जेल में है।

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