पटना, 31 अक्टूबर (हि.स.)। बिहार में बहुचर्चित नल-जल योजना के दो बड़े ठेकेदारों और दर्जनभर सप्लायरों के ठिकानों पर हुई आयकर विभाग की छापेमारी में मनी लांड्रिंग के भी सबूत मिले हैं। इन साक्ष्यों को लेकर अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कान खड़े हो गए हैं। ईडी इस मामले में आयकर विभाग की रिपोर्ट का इन्तजार कर रहा है। आयकर विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद वह इस मामले की जाँच करेगी।
उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने नल-जल योजना से जुड़े राज्य के दो बड़े ठेकेदारों के दर्जनों ठिकानों पर पिछले दो दिनों तक छापेमारी कर साढ़े तीन करोड़ से भी अधिक नकदी और करोड़ों की अवैध संपत्ति का पता लगाया है। सूत्र बताते हैं कि छापेमारी के दौरान दोनों ठेकेदारों के ठिकानों से कुछ ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं, जिससे यह मामला मनी लांड्रिंग से भी जुड़ा लगता है। फिलहाल, आयकर की टीम जब्त दस्तावेजों की जाँच कर रही है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट ईडी को भेज दी जाएगी।
ईडी सूत्रों का कहना है कि जबतक आयकर विभाग की पूरी रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक इस सम्बन्ध में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता। अनुमान है कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है और इसे साजिश के तहत कई बड़े ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों की आपसी मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। शुरुआती तफ्तीश में पता चला है कि इस घोटाले के करोड़ों रुपये राज्य की बड़ी राजनीतिक हस्तियों को कमीशन के तौर पर दी गई है। इनकम टैक्स के एक अधिकारी के अनुसार ईडी के अधिकारी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और कुछ अधिकारी हमारे संपर्क में भी हैं।
कुछ इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा:
छापेमारी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनसे पता चलता है कि बिना काम कराए ही मजदूरों के वेतन का भुगतान और कई सामानों की फर्जी ढुलाई से संबंधित फर्जी बिल बनाकर उसका भुगतान किया गया है। करीब 10 करोड़ के फर्जी लोन लेकर कारोबार में लगाने और बाद में उसके भुगतान से भी संबंधित फर्जी बिल से जुड़े कई दस्तावेज भी आयकर की टीम के हाथ लगे हैं। इसके साथ ही करीब 20 करोड़ के एक और ऐसे ही फर्जी बिल से जुड़े मसले की जानकारी और उसके दस्तावेज भी जांचकर्ताओं के हाथ लगे हैं, जिस ब्लैक मनी से कई शहरों में कई प्रापर्टी खरीदी गई है।
फिलहाल, करीब एक दर्जन ठेकेदारों सहित कई सरकारी बाबू आयकर विभाग सहित अन्य जांच एजेंसियों के रडार पर हैं, जिसमें दो प्रमुख और बड़े आरोपी कारोबारी का संबंध “नल-जल योजना” से हैं। इसमें नालंदा इंजिकॉम प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी और उस कंपनी के संबंधित अधिकारियों के यहां भी छापेमारी की गई है। इस कंपनी के मालिक का नाम विवेकानंद कुमार और सरयू प्रसाद है। इन दोनों आरोपितों का कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों के साथ भी बेहतर संबंध हैं।