संदेसरा ग्रुप कंपनियों की 9778 करोड़ की संपत्ति अटैच
मुंबई, 27 जून (हि.स.)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुजरात स्थित फॉर्मास्युटिकल फर्म स्टर्लिंग बायोटेक (एसबीएल) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच करते हुए 9,778 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच की है। यह कंपनी गुजरात के भगोड़े कारोबारी संदेसरा ब्रदर्स की है। बुधवार को ईडी ने नाइजीरिया में स्थित 4 तेल कुओं, तुलजा भवानी, वृंदा, भाव्या और ब्राम्हिणी शिप के साथ ही पनामा की अटलांटिक ब्लू वाटर सर्विसेस, एयरक्रॉफ्ट 200 गल्फस्ट्रीम और लंदन के एक बंगले को अटैच किया है। इसके अलावा कथित तौर पर करोड़ों रुपये की बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल पाए जाने पर समूह कंपनी को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) से भी निलंबित कर दिया गया है।
ईडी की ओऱ से बताया गया कि स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड (एसबीएल) एवं संदेसरा ग्रुप व मुख्य प्रवर्तक नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ति संदेसरा सहित अन्य लोगों के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किया गया है। एसबीएल समूह व मुख्य प्रवर्तक के खिलाफ सीबीआई ने भी अगस्त 2017 में बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
ईडी की ओऱ से साल 2018 में भी एसबीएल कंपनी की 4730 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को अटैच किया था, जिसकी पुष्टि एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने की है। सीबीआई की ओऱ से एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने अक्टूबर 2017 में कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ 5383 करोड़ की धोखाधड़ी व पीएमएलए एक्ट के तहत जांच शुरू की थी। ईडी का दावा है कि संदेसरा बंधुओं व अन्य आरोपितों ने बैंकों से अधिक कर्ज मंजूर कराने के लिए अपनी प्रमुख कंपनियों की बैंलेंस शीट के आंकड़ों में हेराफेरी की और बैंकों को धोखा देने की आपराधिक साजिश रची थी।
जांच में पाया गया कि एसबीएल समूह ने इंडियन बैंक के जरिए भारतीय मुद्राओं और विदेशी मुद्राओं के रूप में बड़े पैमाने पर कर्ज हासिल किया था। आंध्र बैंक, यूको बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के कंसोर्टियम ने इस कर्ज को मंजूर किया था। जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि लोन फंड्स को विदेशों में फर्जी शेल कंपनियों के बैंक खातों के नाम पर डायवर्ट कर दिया गया था। संदेसरा ब्रदर्स ने 249 घरेलू और 96 विदेशी कंपनियों की मदद से यह हेराफेरी की है।
समूह कंपनी ने अपने नाइजीरियाई तेल व्यापार को वित्तपोषण के नाम पर भी विभिन्न बैंकों से लोन लिया और अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए उसका उपयोग किया। आरोपितों ने कुल 8100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। बैंकों ने वर्ष 2004 से 2012 के दौरान आरोपितों को 5700 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। एसबीएल समूह कंपनियों ने आरबीआई के नियमों व शर्तों का उल्लंघन करते हुए साख पत्र (स्टैंडबॉय लेटर्स ऑफ क्रेडिट) की मदद से 4500 करोड़ रुपये भी हासिल किए थे।
ईडी को जांच में यह भी पता चला है कि एसबीएल कंपनी व उसके प्रवर्तकों ने विदेश में कॉर्पोरेट और लेखा संरचनाओं का एक फर्जी जाल बुनकर यूएई, यूएसए, यूके, बीवीआई, मॉरीशस, बारबाडोस, पनामा और नाइजीरिया सहित विभिन्न देशों में 96 संस्थाओं को इस षडयंत्र में शामिल किया है। भारत के बाहर की प्रमुख संस्थाओं में रिचमंड ओवरसीज, सनशाइन ट्रस्ट कॉर्पोरेशन, एसईईपीसीओ बीवीआई, एसईईपीसीओ नाइजीरिया, अटलांटिक ब्लू वाटर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जियो डायनामिक जियोस्पेक्ट्रा लिमिटेड, एसएआईबी एलएलसी, गोल्डक्वाइन कंस्ट्रक्शन व अऩ्य कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया गया।