बेगूसराय, 23 दिसम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के महत्वाकांक्षी योजनाओं पर तमाम सरकारी विभाग तो काम कर ही रहे हैं। लेकिन कुछ विकसित सोच के किसान 2022 तक अपनी आमदनी तीन से चार गुनी करने की दिशा में बगैर किसी सरकारी सहयोग के खुद ही काम कर रहे हैं। इसके उदाहरण हैं बेगूसराय के छपकी समेत एक दर्जन से अधिक गांव। यहां के किसानों ने पारंपरिक गेहूं और मक्का की खेती कम करके अब फूल की खेती ओर कदम बढ़ा दिया है। पहले बेगूसराय में जहां पटना और कोलकाता से गेंदा के फूल लाए जाते थे। अब बेगूसराय में उपजा गेंदा आसपास के जिलों में भी अपनी खुशबू बिखेर रहा है। खेतों में जब गेंदा की खुशबू फैली तो किसानों के घर भी आर्थिक खुशहाली आने लगी। इसका प्रतिफल है कि धीरे-धीरे गेंदा की खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है और किसान पारंपरिक खेती करने वालों की तुलना में तीन से चार गुनी अधिक आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। छपकी के किसान शंकर महतो ने दस कट्ठा में गेंदा लगाया है और बीस हजार से अधिक का फूल बेच चुके हैं। अभी लगन नहीं रहने के कारण मांग में कमी है। इसके बावजूद उनके खेतों से गेंदा बेगूसराय, खगड़िया और समस्तीपुर बाजार जा रहा है। खेत पर आकर ही खरीददार ले जा रहे हैं। इसके अलावा मटिहानी, तेघड़ा, बलिया, नावकोठी, बखरी और भगवानपुर आदि इलाके में भी 20 से अधिक किसानों ने अपने खेत में गेंदा का अलग-अलग किस्म और साइज वाला पौधा लगाया है। गेंदा लगाने की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसकी जड़ों से एक केमिकल निकलता है, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाता है। इससे किसानों को गेंदा फूल का दोहरा फायदा मिलता है। जानकार बताते हैंं कि गेंदा के हाईब्रिड किस्म के बीज लगाने पर करीब 30 से 35 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आता है। यह साल में तीन बार फूलों की पैदावार दे सकता है। बाजार में औसतन छोटे आकर के फूलों की मांग होती है जो आम बीज से प्राप्त किए जा सकते है। जितना गुथा हुआ फूल होगा उसकी बाजार में उतनी ही ज्यादा डिमांड होगी। गेंदा की खेती सीजन के हिसाब से की जाती है। इससे अच्छा उत्पादन भी मिलता है। एक एकड़ से सप्ताह में एक से डेढ़ क्विंटल तक फूल प्राप्त कर छह माह में एक से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी की जा सकती है।