नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)। आर्थिक मोर्चे पर सरकार को दोहरा झटका लगा है। कोविड-19 संकट की वजह से आठ कोर सेक्टर के बाद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ऐतिहासिक गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष की जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए हैं।
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक जीडीपी के आंकड़ों में ये गिरावट मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कोविड-19 (कोरोना वायरस) की महामारी और लॉकडाउन के चलते औद्योगिक गतिविधियों का प्रभावित होना है। ज्ञात हो कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान सिर्फ जरूरी सामानों और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी आर्थिक गतिविधियां ठप थी।
गौरतलब है कि रेटिंग एजेंसियों ने इस बात की आशंका जाहिर की थी कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जून तिमाही के जीडीपी में 16 से 25 फीसदी की गिरावट आ सकती है। वहीं, थोड़ी देर पहले आए कोर सेक्टर के आंकड़ों ने भी निराशजनक प्रदर्शन किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई महीने में आठ इंडस्ट्री के उत्पादन में 9.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
मार्च तिमाही में 3.1 फीसदी रहा था ग्रोथ रेट
पिछली तिमाही यानी जनवरी-मार्च (वित्त वर्ष 2019-20 की आखिरी तिमाही) में इसमें 3.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, जो कम से कम 8 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे खराब प्रदर्शन था। वहीं, आर्थिक जानकारों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर में भी विकास दर नकारात्मक 8.1 फीसदी और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विकास दर नकारात्मक 1 फीसदी रह सकती है।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई सहित दुनिया कई रेटिंग एजेंसियों ने जीडीपी में भारी गिरावट की आशंका जताई थी। रिजर्व बैंक ने पहले ही कहा था कि चालू वित्त वर्ष या कारोबारी साल में जीडीपी में नेगेटिव ग्रोथ रह सकती है। मई में रिजर्व बैंक ने कहा था कि 2020-21 में देश की वृद्धि दर नकारात्मक दायरे में रहेगी।