पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात की गईं के-9 वज्र हॉवित्जर तोप

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सीधे फायरिंग में एक किमी. तक दुश्मन के बंकर और टैंकों को तबाह करने में सक्षम

 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली तोप 15 सेकंड में दाग सकती है तीन गोले



नई दिल्ली, 02 अक्टूबर (हि.स.)। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से गुजरात के सूरत में बनाई गई के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों को भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात कर दिया है। इन तोपों को 12 से 16 हजार फीट ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ मारक क्षमता परखने के लिए तैनात किया गया है। 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में तीन गोले दाग सकती है।

भारतीय सेना में बोफोर्स तोप के बाद साल 1986 से कोई भारी आर्टिलरी शामिल नहीं की गई थी। इसलिए रक्षा मंत्रालय ने 2017 में दक्षिण कोरिया की कंपनी हानवा टेकविन से के-9 वज्र-टी 55मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट आपूर्ति के लिए चार हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था। इसमें 10 तोपें पूरी तरह से तैयार हालत में मिली थीं जिन्हें नवम्बर, 2018 में सेना में शामिल किया गया था। बाकी 90 टैंक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने सूरत के हजीरा में होवित्जर तोप निर्माण इकाई में तैयार किये गए हैं।

हजीरा प्लांट में तैयार की गई 51वीं के9 वज्र हॉवित्जर तोप 16 जनवरी, 2020 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में शामिल किया था। इसके बाद फैक्टरी में बनाए गए 91वें टैंक को 10 जनवरी, 21 को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने हरी झंडी दिखाकर कॉम्प्लेक्स से रवाना किया था। फैक्टरी में तैयार किया गया 100वां टैंक एलएंडटी ने 18 फरवरी, 2021 को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था। साउथ कोरिया की हानवा टेकविन के साथ मिलकर बनाए गए इन टैंक में एलएंडटी ने 50 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी सामग्री इस्तेमाल की है। 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है।

पूर्वी लद्दाख के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने साफ कहा है कि चीन ने हमारे पूर्वी कमान तक पूरे पूर्वी लद्दाख और उत्तरी मोर्चे पर काफी संख्या में तैनाती की है। निश्चित रूप से अग्रिम क्षेत्रों में उनकी तैनाती में वृद्धि हुई है जो हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है। थल सेनाध्यक्ष ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में कई अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया और पर्वतीय क्षेत्र में चीन के साथ लंबे समय तक सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि में भारत की परिचालन तैयारियों की व्यापक समीक्षा की। एलएसी पर भारतीय सेना ने एम-777 होवित्जर तोपों को भी तैनात किया है। अमेरिका से ली जा रही एम-777 की कुल 7 रेजिमेंट बननी हैं जिनमें तीन रेजिमेंट बन गई हैं और चौथी रेजिमेंट बनने की प्रक्रिया में है।

के-9 वज्र टैंक की खासियत

सूरत के हजीरा एलएंडटी प्लांट में तैयार किये गए के-9 वज्र टैंक काफी एडवांस है, जिसे ‘टैंक सेल्फ प्रोपेल्ड होवरक्राफ्ट गन’ भी कहते हैं। टैंक की खासियत ने बोफोर्स टैंक को भी पीछे छोड़ दिया है। बोफोर्स टैंक की तोप एक्शन में आने से पहले पीछे जाती है लेकिन के-9 वज्र टैंक ऑटोमेटिक है। के-9 वज्र दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे के-9 थंडर जैसे हैं। 155 एमएम कैलिबर के-9 व्रज को एक बख्तरबंद गाड़ी पर माउंट किया गया है। यह तोप रेगिस्तान और सड़क दोनों जगह पर 60 से 70 किलोमीटर की स्पीड से चलते हुए यह तोप दुश्मनों पर गोले बरसाने के बाद तेजी से अपनी लोकेशन को चेंज करने की क्षमता रखती है। डायरेक्ट फायरिंग में एक किमी. दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम है। इस टैंक में चालक के साथ पांच लोग सवार हो सकते हैं।


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