भारत-चीन सैन्य गतिरोध में किसी बाहरी देश की मध्यस्थता की जरूरत नहीं: रूसी विदेश मंत्री

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नई दिल्ली,  23 जून (हि.स.)। रुस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-चीन सीमा के घटनाक्रम पर मंगलवार को कहा कि नई दिल्ली-बीजिंग में विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है तथा इसमें किसी बाहरी देश की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए वार्ता करने के बाद लावरोव ने एक प्रेसकांफ्रेंस में कहा, “ मैं नहीं सोचता कि भारत-चीन को किसी बाहरी देश की मदद की जरुरत है। यह देश हाल के घटनाक्रम सहित विभिन्न मुद्दों का स्वयं समाधान करने में सक्षम हैं। जब देश से जुड़े हुए मुद्दों हो तब बाहर से मदद की जरूरत नहीं होती।”  उनका अभिप्राय था कि जब देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा हो तब बाहरी सहायता मददगार साबित नहीं होती।

लावरोव के अनुसार भारत और चीन के संबंधों ने लम्बा रास्ता तय किया है तथा वे रणनीतिक साझेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के रूप में भारत और पाकिस्तान अच्छे पड़ोसियों के रूप में रह सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों ने विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। दोनों देशों ने रक्षा अधिकारियों के स्तर पर बातचीत शुरु की है। विदेश मंत्रियों के बीच भी बात हो रही है। दोनों पक्षों की ओर से ऐसा कोई उतेजनापूर्ण बयान नहीं दे रहे हैं जिससे लगे कि वह गैर-कुटनीतिक तरीके से मामले को सुलझाना चाहते हैं।

लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के भारतीय दावे का भी समर्थन किया। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझौते की पहल का भी समर्थन किया।

लावरोव ने कहा कि रूस को आशा है कि भारत-चीन सीमा पर शांति बनी रहेगी तथा यह दोनों देश विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए काम करते रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि रूस-भारत और चीन समूह (रिक ) के विदेश मंत्रियों की बैठक मंगलवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए आयोजित हुई। सीमा पर तनाव के बावजूद चीन और भारत के विदेश मंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सेदारी की।

 


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