कोलकाता, 03 अक्टूबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में राज्य की वैश्विक सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। मां की विशालकाय प्रतिमाएं और तमाम तरह के सामाजिक संदेशों को समेटकर बनाई गई थीम पूरी दुनिया को आकर्षित करती है।
2019 का लोकसभा चुनाव बीता है और पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हालात आश्चर्यजनक तौर पर बदले हैं। विगत 70 सालों से राजनीतिक तौर पर बंगाल के लिए अछूत रही भाजपा इस बार राज्य की 42 में से 18 सीटों पर कब्जा जमा कर राज्य में सत्ता का विकल्प बन चुकी है। 2021 में विधानसभा चुनाव होना है इसलिए इस बार की दुर्गा पूजा राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के लिए राजनीतिक नूरा कुश्ती का अखाड़ा बन चुकी है।
राज्य में कमोबेश 30 हजार दुर्गा पूजा होती है जिसमें से अधिकतर पूजा समितियों के प्रमुख सत्तारूढ़ तृणमूल के स्थानीय नेता हैं। इसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, पार्थ चटर्जी, फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी सहित अन्य बड़े नेता शामिल हैं। लेकिन इस बार हालात बदले हैं कि भाजप के नेताओं का वर्चस्व भी दुर्गा पूजा समितियों पर बनता जा रहा है। पूजा से पहले कई पूजा मंडपों के उद्घाटन के लिए भाजपा शीर्ष नेताओं को नामांकित कर रही थी लेकिन तृणमूल कांग्रेस के दबाव में पूजा आयोजक भाजपा नेताओं के हाथों उद्घाटन नहीं कराना चाहते थे लेकिन अब जबकि पूजा का उद्घाटन शुरू हो गया है तो बड़े पैमाने पर भाजपा नेताओं के हाथों भी उद्घाटन शुरू होने लगे हैं।
दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने स्थानीय नेताओं को निर्देश दे दिया है कि दुर्गा पूजा के समय अपने-अपने क्षेत्रों के पूजा पंडालों में मौजूद रहें। वहां आने वाले लोगों से संपर्क कर उन्हें पार्टी के कार्यों से अवगत कराया जाए ताकि लोग जुड़े। तृणमूल ने कोशिश की थी कि भाजपा के एक भी नेता को दुर्गा पूजा उद्घाटन नहीं करने दिया जाए लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गत एक अक्टूबर को अपने कोलकाता दौरे के दौरान सॉल्ट लेक में एक दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन किया जिसके बाद राज्य में भाजपा नेताओं के हाथों उद्घाटन की होड़ लग गई है। भाजपा नेताओं को उद्घाटन के लिए इतने अधिक आमंत्रण मिल रहे हैं कि दिलीप घोष के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल रॉय, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा और प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतरना पड़ा है। महालया के दिन से ही मुख्यमंत्री भी विभिन्न दुर्गा पूजा पंडाल का उद्घाटन कर रही है। हर दिन वह कम से कम 11-12 पूजा पंडालों का उद्घाटन कोलकाता, हावड़ा तथा आसपास के क्षेत्रों में कर रही हैं। भाजपा नेताओं की भी मांग इसी तरह से बढ़ती जा रही है।
गुरुवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के हाथों 15 पूजा पंडाल का उद्घाटन प्रस्तावित है। मूल रूप से हावड़ा और कोलकाता के आसपास के क्षेत्रों में उद्घाटन के लिए बुलाया जा रहा है। हुगली, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरुलिया आदि के क्षेत्रों में भी दिलीप घोष को उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया है। पार्टी के राज्य सचिव राजू बनर्जी के हाथों भी कई पूजा पंडालों का उद्घाटन हो रहा है। इसी तरह से तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी विभिन्न क्षेत्रों में पूजा उद्घाटन की शुरुआत की है। कुल मिलाकर कहा जाए तो दुर्गा पूजा पंडाल राज्य में राजनीतिक वर्चस्व की धुरी बनते जा रहे हैं।