नई दिल्ली, 15 जनवरी (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को बेंगलुरु में भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित ड्राइवरलेस मेट्रो कार का अनावरण किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि हम भविष्य में सीमा क्षेत्रों सहित उन क्षेत्रों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे जहां मानव के लिए खतरे अधिक हैं। अगर हम प्रौद्योगिकी संचालित मेट्रो बना सकते हैं तो भविष्य में हम प्रौद्योगिकी संचालित टैंक और लड़ाकू विमानों के बारे में भी सोच सकते हैं।
दो दिवसीय दौरे पर बेंगलुरु गए रक्षा मंत्री आज रक्षा क्षेत्र की पीएसयू कंपनी भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) के फैक्टरी परिसर गए। भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित ड्राइवरलेस मेट्रो कार का अनावरण करने के बाद उन्होंने कहा कि बीईएमएल के इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीम के अच्छे काम पर गर्व है। वे भारत को आगे ले जाने वाले ‘आत्मनिर्भर’ भारत के असली योद्धा हैं। बीईएमएल आज से नहीं, बल्कि स्वतंत्रता के समय से ही रेल कोच का निर्माण करने वाली सबसे पहली संस्था है। बाकी अनेक बड़ी संस्थाएं इसके बाद में आईं। यह देश में चल रही सभी मेट्रो की लगभग आधी हिस्सेदार है और अपने बल पर उनका स्वदेशीकरण कर रही है। संगठन आज हमारे बदलते भारत के साथ भी कदम से कदम मिलाकर मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इसी की प्रेरणा से भारत रक्षा विनिर्माण उद्योगों के हब के रूप में उभरेगा। इसकी बदौलत हम अपने 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात और 25 बिलियन डॉलर के रक्षा उद्योग का लक्ष्य निश्चित तौर पर हासिल कर सकेंगे। इंजीनियरों से वार्ता के बाद उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि यह मेट्रो 63 फ़ीसदी स्वदेशी है, जो अगले दो-तीन साल में 75 फ़ीसदी तक स्वदेशी हो जाएगी। यह प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का बड़ा उदाहरण है जो देश के बाकी संगठनों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं इसे ड्राइवरलेस मेट्रो के बजाय ‘प्रौद्योगिकी संचालित मेट्रो’ कहना ज्यादा उचित समझता हूं। दिखने में सुंदर और आंतरिक मानकों के अनुसार इस मेट्रो में एनर्जी की बहुत कम खपत होगी। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत सरकार ने हाल ही में कई नीतिगत बदलाव किए हैं। स्वदेशी सामग्री वाले उपकरणों और प्लेटफ़ॉर्म की खरीद नीति में भी बदलाव किया गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हाल ही में 50 हजार करोड़ रुपये के 83 तेजस लड़ाकू विमान की खरीद पर मुहर लगना स्वदेशी रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इससे लगभग 50,000 रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। 500 लघु उद्योग, टाटा, एलएंडटी और वेम-टेक जैसी निजी कंपनियों की भागीदारी से सरकारी और निजी क्षेत्र के तालमेल को नया रूप मिलेगा। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड न केवल देश की, बल्कि दुनिया की अग्रणी कंपनी में से एक है। यह कर्नाटक सहित हमारे देश की शान है। यह उदाहरण यह बताने के लिए काफी है कि बीईएमएल के लिए भी भविष्य में सुनहरा अवसर उपलब्ध है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेंगलुरु ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति की है। इसरो हो या एचएएल, डीआरडीओ हो बीईएल या बीईएमएल, इन सभी संस्थानों ने न केवल अपना, बल्कि पूरे देश का नाम दुनियाभर में रोशन किया है।