डीआरई कर सकता है समाधान बिहार की अर्थव्यवस्था की समस्याओं का

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सीड की रिपोर्ट के अनुसार कोविड काल में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा के विस्तार से सशक्त बनेगा बिहार



पटना, 24 मार्च (हि.स.)। सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआईए) के सहयोग से पटना में आयोजित स्टेकहोल्डर्स कॉन्फ़्रेंस में एक रिपोर्ट “एम्पॉवरिंग बिहार थ्रू डीआरई इन द पोस्ट-कोविड वर्ल्ड” का विमोचन किया। सीड की इस रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि अकेले डीआरई बिहार की अर्थव्यवस्था की प्रमुख समस्याओं का समाधान कर सकता है, जैसे राज्य के डीआरई क्षेत्र में 36,738 करोड़ के निवेश की सम्भावना है और यह 1,71,210 नए रोजगार पैदा कर सकता है।

बिहार में कोविड महामारी के दुष्प्रभावों और ‘रिवर्स माइग्रेशन’ की वजह से जूझ रही अर्थव्यवस्था में आर्थिक रफ़्तार तेज करना और नए रोजगार सृजन की व्यवस्था करना बड़ी चुनौतियां हैं। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए और इनके समाधान में राज्य सरकार के प्रयासों को मजबूती देने के उद्देश्य से सीड ने यह डेवलपमेंट रोडमैप रिपोर्ट तैयार की है, जो राज्य की विकास नीतियों के केंद्र में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी-डीआरई) समाधानों को रखने पर जोर देता है।

 डीआरई अर्थव्यवस्था के प्रमुख सेक्टर्स का पुनरुद्धार करते हुए सभी कार्यक्रमों एवं योजनाओं को बेहतर करने और लोगों तक इसके लाभ पहुंचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रिपोर्ट का यह भी आकलन है कि डीआरई सेक्टर में 3,948 मेगावाट की सम्भावना है, जहां दस प्रमुख सरकारी विभाग (जैसे ऊर्जा, कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, जल संसाधन, उद्योग, शिक्षा, नगर विकास, सार्वजनिक कार्य, पथ निर्माण एवं परिवहन आदि) कुल डीआरई सम्भावना के 95 प्रतिशत हिस्से को पूरा करने में योगदान कर सकते हैं।

इसके अलावा डीआरई समाधानों से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है, जैसे यह राज्य में 73,10, 636 टन सालाना कार्बन उत्सर्जन बचा सकता है और पर्यावरण संबंधी कई फायदे ला सकता है। रिपोर्ट की महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में विस्तार से बताते हुए अश्विनी अशोक, हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड ने कहा कि “यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से संकेत करती है कि अकेले डीआरई आर्थिक विकास में तेजी लाकर और स्थानीय स्तर पर नई नौकरियों का सृजन करके धीमी अर्थव्यवस्था और श्रमिकों के पलायन जैसी समस्याओं का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार तत्काल नीतिगत स्तर पर सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में डीआरई ऍप्लिकेशन्स को शामिल करती है तो इससे विभागों के कामों एवं परिणामों में बेहतर सुधार देखने को मिलेगा। बिहार को सशक्त बनाने के लिए डीआरई मिशन की शुरुआत करना बेहद जरूरी कदम होना चाहिए, ताकि विभिन्न विभागों के बीच एक स्पष्ट विजन के साथ कन्वर्जेन्स हो और इसी अनुरुप कार्यक्रमों के नीति-निर्माण से लेकर उनका बेहतर क्रियान्वयन और निगरानी हो सके।

रिपोर्ट इस बात पर खास जोर देती है कि राज्य की समग्र विकास रणनीतियों में डीआरई को केंद्र बिंदु बनाया जाए, ताकि अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया जा सके और इसे सततशील विकास के पथ पर अग्रसर किया जा सके।” उन्होंने कहा कि बिहार जैसे विकासशील राज्य में स्वच्छ ऊर्जा उपलब्धता के जरिए लोगों की आर्थिक-सामाजिक ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए डीआरई बेहद प्रासंगिक है।

बिहार सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किये हैं, जिसमें ‘जल, जीवन हरियाली मिशन’, ‘हर गांव में सोलर लाइट’ और ‘ग्रीन बजट’ की पहल शामिल है, जिनसे ग्रामीण इलाकों में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। हालांकि, कोविड महामारी के व्यापक असर को देखते हुए डीआरई ऍप्लिकेशन्स का राज्यव्यापी विस्तार बेहद आवश्यक है, जिससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

इस अवसर पर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआईए) के वाईस प्रेसिडेंट संजय भरतिया ने कहा कि यह रिपोर्ट बिलकुल ठीक समय में आई है, जब राज्य की अर्थव्यवस्था कोविड-19 की चुनौतियों से संघर्ष कर रही है और यह राज्य में विकास की बेहतर दशा और दिशा तय करने के लिए डीआरई समाधानों के राज्यव्यापी विस्तार को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में राज्य सरकार को एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना चाहिए, जहां नए उद्यमियों को समुचित वित्त पोषण मिले और नवोन्मेष तकनीक तक उनकी पहुंच आसान हो। साथ ही सभी निवेशकों और डीआरई डेवलपर्स को एक समान अवसर और जरूरी सहूलियत मिले।

भरतिया ने कहा कि हम राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि वे स्थानीय स्तर पर सोलर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री और सहायक इकाइयों की स्थापना को समुचित उचित प्रोत्साहन देने के लिए एक समर्थनकारी परिवेश निर्मित करे। एक स्पष्ट विजन पर आधारित सभी स्टेकहोल्डर्स के क्षमता निर्माण और जनजागरूकता कार्यक्रम के जरिए बिहार में आर्थिक समृद्धि लाई जा सकती है।

 


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