नई दिल्ली, 21 जुलाई (हि.स.)। भारत ने बुधवार को सुपरसोनिक आकाश-एनजी (न्यू जेनरेशन) मिसाइल का दूसरा सफलतापूर्वक परीक्षण एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर), चांदीपुर, ओडिशा तट से किया। आकाश मिसाइल की अगली पीढ़ी आकाश-एनजी की मारक क्षमता 40-50 किमी. तक है। 96 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह देश का सबसे महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम है जिसे अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है। आकाश मिसाइल सिस्टम को खरीदने में पूर्वी एशिया और अफ्रीका के 9 देशों ने दिलचस्पी दिखाई है।
आकाश-एनजी (न्यू जेनरेशन) का पहला परीक्षण इसी साल 25 जनवरी को किया गया था। डीआरडीओ ने आज ओडिशा के तट से इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से आकाश-एनजी (न्यू जेनरेशन) मिसाइल का दूसरा सफल प्रक्षेपण किया। मिसाइल को इलेक्ट्रॉनिक लक्ष्य को नष्ट करने के लिए दोपहर 2.30 बजे लॉन्चिंग कॉम्प्लेक्स-III के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में एक मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया गया था। सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ ने कहा कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया। कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम का प्रदर्शन, ऑनबोर्ड एवियोनिक्स और मिसाइल के वायुगतिकीय विन्यास को सफलतापूर्वक सत्यापित किया गया।
आकाश-एनजी नई पीढ़ी की सतह से हवा में हमला करने वाली इस मिसाइल का उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा उच्च पैंतरेबाज़ी वाले हवाई खतरों को रोकने के उद्देश्य से किया जाता है। सरकार से आकाश-एनजी विकसित करने के लिए सितम्बर, 2016 में मंजूरी मिली थी। नई पीढ़ी की आकाश-एनजी यूएवी, विमान और मिसाइल जैसे लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है। आकाश-एनजी में दुश्मन को जवाब देने के लिए बेहतर टाइमिंग और हमलों के खिलाफ उच्चस्तर की सुरक्षा करने की क्षमता होगी। इसकी मौजूदा मारक क्षमता 40 किमी. से बढ़ाकर 80 किमी से अधिक करने के लिए सॉलिड रॉकेट मोटर का इस्तेमाल किया गया है।
आकाश एयर डिफेंस सिस्टम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में नया कदम है। इसका 96 फीसदी हिस्सा भारत में ही तैयार किया गया है। इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना में और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। आकाश मिसाइल लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन पर सटीक लक्ष्य साध सकती है। गलवान घाटी हिंसा के बाद भारत ने आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को चीन सीमा पर तैनात कर दिया गया था। इस साल गणतंत्र दिवस की झांकी में भी आकाश मिसाइल सिस्टम को शामिल किया गया था। अब इसके बाद डीआरडीओ आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम पर काम कर रहा है। इसमें बहुत ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर भी टारगेट को निशाना बनाने की क्षमता होगी। इसके अलावा लंबी दूरी पर दुश्मन के लड़ाकू विमान को भी मार गिराने की ताकत होगी।