वैज्ञानिकों ​से रक्षा प्रौद्योगिकि​यां खोजने ​का आह्वान

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डीआरडीओ​ ​ने ​63​​वें स्थापना दिवस ​पर गिनाईं उपलब्धियां  ​​2020 में​ ​डीआरडीओ​ ​​ने कई मील के पत्थर स्थापित किए



नई दिल्ली, 01 जनवरी (हि.स.)।  भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (​​डीआरडीओ) ने ​शुक्रवार को अपना 63​​वां स्थापना दिवस ​मनाया। डीआरडीओ के अध्यक्ष ​डॉ​.​ जी स​तीश रेड्डी​ ​ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उन्हें आकाश मिसाइल प्रणाली का एक मॉडल ​भेंट किया, जिसे हाल ही में निर्यात के ​​लिए मंजूरी दी गई है।इस अवसर पर अध्यक्ष​ रेड्डी ने अन्य निदेशकों के साथ डीआरडीओ भवन में ​मिसाइलमैन ​डॉ​.​ एपीजे अब्दुल कलाम को पुष्पांजलि अर्पित की।  
 
डीआरडीओ के अध्यक्ष ​रेड्डी ने​ संस्थान के कर्मचारियों और अधिकरियों को नववर्ष की बधाई देते हुए ​​वैज्ञानिकों ​से राष्ट्र के लिए ​नई अत्याधुनिक ​​रक्षा प्रौद्योगिकि​यां खोजने ​का आह्वान किया​।​उन्होंने कहा कि ​​डीआरडीओ के प्रयासों ने भारत ​को रक्षा​ के क्षेत्र में आत्मनिर्भर​ बनाने के लिए ​काफी योगदान ​दिया है।​ उन्होंने 2021 के लिए निर्यात ​नीति ​की घोषणा ​करते हुए उल्लेख किया ​​कि डीआरडीओ ​की ​प्रौद्योगिकियों पर आधारित कई उत्पाद पहले ही निर्यात किए गए हैं​​। ​उन्होंने कहा कि ​​2020 मेंडीआरडीओ​ ​ने कई मील के पत्थर स्थापित किए ​हैं ​जिनमें ​एलसीए नेवी ​की ​आईएनएस विक्रमादित्य​ जहाज पर पहली लैंडिंग​, हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल (​एचएसटीडीवी) का प्रदर्शन,क्वांटम कुंजी वितरण (​क्यूकेडी)​, लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम), टॉरपीडो (एसएमएआरटी) की सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज, एंटी रेडिएशन मिसाइल (एनजीएआरएम), पि​नाका रॉकेट सिस्टम का ​विस्तृत संस्करण, क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (​क्यूआरएसएएम),5.56 x 30 मिमी संयुक्त उद्यम सुरक्षात्मक कार्बाइन​ प्रमुख हैं
 
उन्होंने कहा कि भारत में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए लगभग 40 प्रयोगशालाओं ने​ ​उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए युद्धस्तर पर 50 से अधिक तकनीकों और 100 से अधिक उत्पादों का विकास किया। ​इनमें पीपीई किट, सैनिटाइज़र, मास्क, यूवी आधारित कीटाणुशोधन प्रणाली, जर्मिनी क्लेन और वेंटिलेटर ​का देश में ​ही निर्माण ​किया गया। उन्होंने आगे कहा कि डीआरडीओ ने चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए रिकॉर्ड समय में दिल्ली, पटना और मुजफ्फरपुर में तीन समर्पित सीओवीआईडी ​​अस्पताल स्थापित किए हैं। इसके अलावा​ कोविड परीक्षण क्षमताओं को मजबूत करने के लिए विभिन्न स्थानों पर स्क्रीनिंग और मोबाइल वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक्स लेबोरेटरी​​ विकसित की गई।​​​ डीआरडीओ ने रक्षा प्रणालियों के विकास के लिए तकनीकी चुनौति​यां स्वीकार करके अपने आधार को और मजबूत करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं
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उन्होंने डीआरडीओ के प्रमुख कार्यक्रमों हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए), न्यू जनरेशन एमबीटी, मानव रहित कॉम्बैट एरियल व्हीकल, एन्हैंस्ड एईडब्ल्यू एंड सीएस, एलसीए एमके II और कई अन्य प्रणालियों के बारे में ​भी ​बात की। उन्होंने आगे कहा कि हमारी सेना के लिए अभिनव उत्पादों को विकसित करने के लिए हर साल कम से कम 30 स्टार्टअप का समर्थन किया जाना चाहिए।​​ डीआरडीओ अध्यक्ष​ ने विक्रेता पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक ऑनलाइन उद्योग भागीदार पंजीकरण मॉड्यूल भी लॉन्च किया।
रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ाने के लिए डीआरडीओ की स्थापना 1958 में सिर्फ 10 प्रयोगशालाओं के साथ की गई थी​​ इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए ​​अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों को डिजाइन और विकसित करने का काम सौंपा गया​​। ​आज के समय में यह संस्थान कई अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में काम कर रहा है, जिसमें एयरोनॉटिक्स, आर्मामेंट्स, लड़ाकू वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन, इंजीनियरिंग सिस्टम, मिसाइल, सामग्री, नौसेना प्रणाली, उन्नत कंप्यूटिंग, सिमुलेशन, साइबर, जीवन विज्ञान और रक्षा के लिए अन्य प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।
 

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