बदरीनाथ (चमोली), 20 नवम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए शनिवार सायंकाल विधि-विधान और पूजा-अर्चना के साथ सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों, बदरीविशाल के जयघोष के साथ बंद हो गए। इस बार चार धाम में रिकार्ड पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं।
इस मौके पर धाम की फूलों से सजावट देखते ही बन रही थी। 21 नवंबर को प्रात: 9.30 बजे आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी,रावल सहित उद्धव एवं कुबेर योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी।
विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल के लिए शनिवार मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न- राशि में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गए। इस दौरान सेना के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियां बदरीनाथ धाम में गुंजायमान होती रहीं। बद्रीविशाल पुष्प सेवा समिति, ऋषिकेश ने बदरीनाथ मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। बदरीनाथ धाम की सुदूर पहाड़ियों पर बर्फ जमी है, जिससे बदरीनाथ धाम में भी तापमान बहुत कम है और मौसम सर्द बना हुआ है।
शनिवार को प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में बदरीनाथ मंदिर के द्वार खुल गए थे। इसके बाद भगवान बदरीविशाल की अभिषेक पूजा हुई। पूजा-अर्चना और दर्शन पश्चात बाल भोग समर्पित किया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने दर्शन किये और फिर दिन का भोग प्रसाद चढ़ाया गया। इसके बाद विष्णुसहस्त्रनाम पूजाएं और शयन आरती हुई।
शाम साढे़ चार बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके पश्चात शाम साढे़ पांच बजे उद्धव एवं कुबेर, एवं गरुड़ के मंदिर गर्भ गृह से बाहर मंदिर परिसर में आते ही रावल द्वारा स्त्रैण भेष धारणकर मां लक्ष्मी को मंदिर में भगवान बदरीविशाल के समीप विराजमान किया।
सीमांत पर्यटन ग्राम माणा के महिला मंडल द्वारा भगवान बदरीविशाल को भेंट किया गया ऊन से बना घृत कंबल भगवान श्री बदरीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके बाद रावल की ओर से गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिए गए। इस अवसर पर रावल सहित श्रद्धालुगण भी भावुक हो गए और रावल समारोह के साथ के मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर की तरफ प्रस्थान हुए और शाम 6 बजकर 45 मिनट पर भगवान बदरीविशाल मंदिर का मुख्य द्वार शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। गर्भ गृह में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की ओर से इस तरह कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की गई।
इस अवसर पर कपाट बंद होने का संपूर्ण कार्यक्रम उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह की देखरेख में हुआ। सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों से श्री बद्रीपुरी गुंजायमान हो रही थी। इसके साथ ही सेना ने आगंतुक तीर्थयात्रियों के लिए भंडारा भी लगाया । ऋषिकेश, मेरठ, दिल्ली, गोपेश्वर के दान-दाताओं ने भंडारा किया। स्थानीय माणा, बामणी,पांडुकेश्वर की महिला भजन मंडलियों ने भगवान बदरीविशाल के भजन, झूमेलो कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
16 नवंबर से शुरू हो गयीं थीं पंच पूजाएं-
उल्लेखनीय है कि मंगलवार 16 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू हुईं थीं। पंच पूजाओं में 16 नवंबर को गणेश जी की पूजा और 17 नवंबर को आदिकेदारेश्वर जी कपाट बंद हुए। 18 नवंबर को खड़ग पुस्तक पूजन, वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया गया। 19 नवंबर चौथे दिन मां लक्ष्मी जी का आवाह्न,पांचवे दिन आज 20 नवंबर को कपाट बंद हो गये। इस अवसर पर चार हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के गवाह बने।
भगवान बदरीविशाल के खजाने के साथ गरुड़ भगवान की विग्रह प्रतिमा बदरीनाथ धाम से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन(जोशीमठ) और मातामूर्ति मंदिर माणा सहित घ़टाकर्ण मंदिर माणा के कपाट तथा बदरीनाथ धाम में अधीनस्थ मंदिरों के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि घंटाकर्ण महाराज, भगवान बदरीविशाल के प्रधान क्षेत्रपाल कहलाते है शीतकाल हेतु 16 नवंबर को भगवान घंटाकर्ण की मूर्ति को मूल मंदिर से पश्वाओं द्वारा अज्ञात स्थान पर शीतकाल के लिए विराजमान कर दिया गया और माणा गांव स्थित घंटाकर्ण मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर माणा ग्राम में पारंपरिक उत्सव भी आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए।
शंकराचार्य की पवित्र गद्दी पांडुकेश्वर पहुंचेगी-
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद कल प्रात: 21 नवंबर उद्वव एवं कुबेर रावल सहित आदिगुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी के साथ रात्रि प्रवास के लिए योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी।कुबेर अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव योग -बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जाएंगे। जबकि 22 नवंबर को रावल और आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे।इसके साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशी मठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी श्रृद्धालुओं को शुभकामनाएं-
प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टीनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त) गुरुमीत सिंह और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल समापन पर देश-विदेश के श्रृद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि चार धाम यात्रा कोरोनाकाल के बावजूद सफल रही। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को बधाई दी।
शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहित किया जाएगा: पर्यटन मंत्री
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहित किया जायेगा। देवस्थानम उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी, विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, चार धाम विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं सहित विधायक बदरीनाथ,देवस्थानम बोर्ड के सदस्य महेंद्र भट्ट, देवस्थानम बोर्ड सदस्य आशुतोष डिमरी एवं निवास पोस्ती,गोविंद सिंह पंवार सहित सभी सदस्यगणों ने कपाट बंद होने के अवसर पर बधाई दी है।
मुख्य सचिव डा. एस एस. संधू ने कहा की चारधाम यात्रा कई चुनौतियों के बावजूद सामूहिक प्रयासों से पटरी पर आयी। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने कहा कि चारधाम यात्रा में देश विदेश के तीर्थयात्री पहुंचे।
चार धाम में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
आयुक्त गढ़वाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड रविनाथ रमन ने बताया कि चारधाम में रिकार्ड पांच लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे हैं।
कपाट बंद होने के अवसर पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, वरिष्ठ पत्रकार देवस्थानम बोर्ड के सदस्य आशुतोष डिमरी, अपर आयुक्त गढ़वाल नरेन्द्र क्विरियाल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह सहित धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल एवं आचार्य गण,उप जिलाधिकारी जोशीमठ कुमकुम जोशी, उपजिलाधिकारी अजयबीर सिंह पीतांबर मोल्फा, डा. हरीश गौड़, सहित सेना, पुलिस आईटीबीपी, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी कर्मचारीगण, तीर्थ पुरोहित एवं हजारों की संख्या में तीर्थयात्री मौजूद रहे।
भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए 22 को हाेंगे बंद-
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि पंच केदारों में से विख्यात द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल 22 नवंबर को प्रात: साढे़ आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद हो जाएंगे। कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 25 नवंबर को चल विग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने 5 नवंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जायेगा। कपाट बंद होने न के कार्यक्रम में सामाजिक दूरी सहित कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया है। इस यात्रा वर्ष 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ धाम दर्शन को पहुंचे। प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित देश-विदेश से महत्वपूर्ण हस्तियां चार धाम दर्शन को पहुंचीं।