पटना,20 सितम्बर (हि.स.)। बीपीएससी के सदस्य रहे रामकिशोर सिंह की मुश्किले डेंटल डॉक्टर्स की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों में बढ़ सकती है। उनकी भूमिका इस नियुक्ति में जांच के दायरे में आने की उम्मीद जतायी जा रही है। क्योंकि उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि रामकिशोर उस इंटरव्यू में बोर्ड के अध्यक्ष थे और उन्होंने इस नियुक्ति में कई नियमों को दरकिनार करते हुए डेंटल डॉक्टरों को साक्षात्कार में काफी कम नंबर दिये थे।
साक्षात्कार देने वाले डॉक्टरों का कहना है कि साक्षात्कार के दौरान उनका व्यवहार काफी आक्रमक था। ऐसा लगता था कि जैसे वह इंटरव्यू नहीं, बल्कि रैगिंग में गये हों। वह संविदा डाॅक्टरों को कहते थे कि हम शून्य नंबर भी देंगे तो क्या होगा? तुम लोगों को तो सरकार नियुक्त कर ही लेगी। रामकिशोर सिंह के कारण साक्षात्कार में 08 से 13 साल तक राज्य सरकार के अस्पतालों में संविदा पर काम कर रहे डेंटल डॉक्टरों को 15 अंकों में 0 से लेकर तीन अंक ही दिये गये थे। जिससे 73 वैसे डॉक्टरों का भी चयन नहीं हो सका था जो राज्य सरकार के अस्पतालों में काम कर रहे हैं। हालांकि अभी पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पर पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर होने कारण नहीं पूरी हो सकी है। डॉक्टरों ने इस पूरी नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की मांग की है। डेंटल डॉक्टर्स संघर्ष मोर्चा के डॉ. आयुष ने कहा है डेंटल डॉक्टर के इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मामले की निष्पक्ष जांच करने की अपील की है। इससे पूर्व उनपर 25 लाख रुपये लेकर डीएसपी बनाने का आडियो जारी हो चुका है।
बता दें कि सरकारी अस्पतालों में स्थायी डेंटल सर्जन की नियुक्ति की जिम्मेदारी बीपीएससी दी गयी थी। बीपीएससी ने इसके लिए विज्ञापन मार्च 2015 में निकाला। विज्ञापन में कुल 558 चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया सिर्फ साक्षात्कार पर ही होनी थी। साक्षात्कार में कुल 1833 उम्मीदवार शामिल हुए। 29 सितम्बर 2018 को निकाले गये मेरिट लिस्ट में 552 उम्मीदवारों शामिल थे। मेरिट लिस्ट में पास को फेल और फेल को पास करने का आरोप लगाया गया है।