नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। देश की कमाई और खर्चों का लेखा-जोखा यूनियन या फिर आम बजट कहलाता है। आम बजट को हर साल देश के वित्तमंत्री पहली फरवरी को संसद में पेश करते हैं। चुनावी साल होने की वजह से इस बार एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था। मोदी 2.0 सरकार के गठन के बाद इस बार नई वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को बजट पेश करेंगी।
क्या होता है आम बजट या यूनियन बजट
दरअसल आम बजट या यूनियन बजट सरकार की खर्चें और कमाई का लेखा-जोखा है। ठीक उसी तरह से जैसे आप अपने घर का बजट बनाते हैं कि कितने पैसे कमाएंगे, कितने खर्च करेंगे और अंत में कितने पैसे बचाएंगे। हालांकि आम आदमी अपने घर का और सरकार पूरे देश का बजट तैयार करती है। साल 2016 तक फरवरी के अंतिम दिन (28 या 29 फरवरी) को बजट पेश किया जाता था लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान ही साल 2017 से यह एक फरवरी को पेश किया जाता है।
सरकारी और आम आदमी के बजट में एक अंतर यह है कि आम आदमी के घर के बजट में कमाई से खर्चे थोड़े कम होते हैं। इसमें आप कुछ न कुछ पैसा बचाने की कोशिश करते हैं। जबकि सरकार का जो बजट बनता है उसमें आमतौर पर खर्चे ज्यादा होते हैं और कमाई कम। फिर सवाल उठता है कि खर्चे के लिए पैसे कहां से आएंगे। खर्चों के लिए सरकार पैसे उधार लेती है, इसीलिए सरकार के बजट को घाटे वाला बजट कहा जाता है।
संविधान में ‘बजट’ को एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट कहा गया है। आम बजट में सरकार की आर्थिक नीति की दिशा दिखाई देती है। साथ ही इसमें मंत्रालयों को उनके खर्चों के लिए पैसे का आवंटन होता है। वहीं इसमें आने वाले साल के लिए कर प्रस्तावों का ब्योरा पेश किया जाता है।
साल 1924 से संसद में आम बजट से अलग रेल बजट पेश किया जा रहा है लेकिन मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिला दिया। इसलिए अब दोनों एक साथ ही पेश होता है। भारत का पहला बजट 18 फरवरी,1869 को जेम्स विल्सन ने पेश किया था। जेम्स विल्सन भारत के बजट के जनक के तौर पर जाने जाते हैं।