नई दिल्ली, 21 जून (हि.स.)। नरेन्द्र मोदी की नई सरकार का पहला बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को पेश करेंगी। इस बजट में सरकार का प्रयास कई बड़े आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए प्रर्याप्त फंड उपलब्ध कराने की होगी, जिसकी उम्मीद हर शख्स और फाइनेंशियल एक्सपर्ट को भी है।
आमतौर पर बजट को लेकर लोगों के मन में कई तरह की जिज्ञासाएं होती हैं। उनमें से एक ये भी है कि आखिर बजट को बनाता कौन है। बजट को बनाने से लेकर पेश करने तक की तमाम जिज्ञासाओं के बारे में आपको हम इस कड़ी में जानकारी दे रहे हैं।
बजट बनाने से पहले जारी होता है सर्कुलर
बजट निर्माण में सबसे पहले वित्त मंत्रालय के बजट डिवीजन सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, रक्षा बलों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजता है। इसके जवाब में इन्हें ब्यौरे के साथ आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की आवश्यकताओं की जानकारी देनी होती है। इन मांगों के आने के बाद केंद्रीय मंत्रालयों और वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच कई बैठकें होती हैं। इसके बाद ही तय होता है कि किसे बजट में कितनी प्राथमिकता मिलेगी।
बजट बनाने से पूर्व होती हैं कई बैठकें
बजट निर्माण की प्रक्रिया में आर्थिक मामलों का विभाग और राजस्व विभाग विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व बैठकें करते हैं। इन बजट पूर्व परामर्श बैठकों में विभिन्न क्षेत्रों की मांगे और सुझाव लिए जाते हैं। टैक्स प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्री के साथ लिया जाता है। उससे पहले प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री के साथ भी चर्चा की जाती है।
दिन-रात एक कर देते हैं कर्मचारी
बजट निर्माण का कार्य नॉर्थ ब्लॉक(वित्त मंत्रालय) में किया जाता हैं, जहां वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्निशियंस और स्टेनोग्राफर्स एक तरह से कैद में रहते हैं। बजट तैयार होने से पहले के सात दिनों में तो यह लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट जाते हैं। नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के ये कर्मचारी बजट निर्माण में दिन-रात एक कर देते हैं।
किले में तब्दील हो जाता है नॉर्थ ब्लॉक
बजट निर्माण के समय नॉर्थ ब्लॉक की सुरक्षा पूरी तरह से चाक-चौबंद होती है। संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की हर एक्टिविटी पर नजर रहते हैं। खास तौर पर स्टेनोग्राफर्स पर सबसे ज्यादा नजर रखी जाती है। इस तरह बेहद तगड़ी सुरक्षा में बजट बनकर तैयार होता है।