नई दिल्ली, 04 सितम्बर (हि.स.)। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार कर्नाटक के कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को 13 सितम्बर तक की ईडी हिरासत में भेज दिया है। ईडी ने कोर्ट से 14 दिनों की हिरासत की मांग की थी।
तीन सितंबर को ईडी ने डीके शिवकुमार को गिरफ्तार किया था। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से एएसजी नटराज ने कहा कि डीके शिवकुमार के कब्जे से 44 करोड़ रुपये बरामद किए गए। जांच महत्वपूर्ण मोड़ पर है और डीके शिवकुमार की कुछ दस्तावेजों के साथ पूछताछ करनी है। ईडी ने कहा कि डीके शिवकुमार जांच में सहयोग नहीं करते हैं। ईडी ने कहा कि शिवकुमार की हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। ईडी ने कहा कि उसने सीबीआई से आगे की कार्रवाई के लिए जरूरी सूचनाएं साझा की हैं।
डीके शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जमानत याचिका दाखिल करते हुए कहा कि ईडी ने 33-34 घंटे की पूछताछ की है। वे भाग नहीं रहे हैं। जब तक कुछ बड़ा नहीं हो, तब तक रिमांड नहीं दी जा सकती है। सारा केस 2 अगस्त, 2017 से इनकम टैक्स जांच के बाद का है। उसके आधार पर 13 जून, 2018 को इनकम टैक्स की शिकायत की गई। सारे आरोपों के पीछे की कहानी यही है। रिमांड याचिका में भी इनकम टैक्स की बात कही गई है। इसी आरोप के आधार पर धन शोधन का केस बनाया गया है।
सिंघवी ने कहा कि पिछले 20 अगस्त को उस शिकायत के आधार पर हाईकोर्ट ने सारी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। ये मामला आज हाईकोर्ट में लिस्टेड था। रोक लगाने का आदेश 17 सितम्बर तक जारी रहेगा। सिंघवी ने कहा कि जो अपराध डीके शिवकुमार ने किया है वो इनकम टैक्स एक्ट के तहत समझौता योग्य है। सिंघवी ने कहा कि रिमांड मैकेनिकल तरीके से नहीं दी जा सकती है। कोर्ट को देखना चाहिए कि रिमांड की जरूरत है या नहीं। रिमांड एक अपवाद है।
सिंघवी ने कहा कि ईडी कह रहा है कि डीके शिवकुमार सच नहीं बता रहे हैं। आखिर सच क्या है? जो अभियुक्त कह रहा है वो या जो ईडी कह रहा है वो? एजेंसी जो चाह रही है अगर कोई अभियुक्त वो बताए तो हर कोई गिरफ्तार होगा। सिंघवी ने कहा कि अगर जमानत नहीं दी जाती है तो उन्हें एक मिनट के लिए भी हिरासत में नहीं भेजा जाना चाहिए। उन्हें उनके परिवार के सदस्यों से मिलने की इजाजत होनी चाहिए।
सिंघवी ने कहा कि डीके शिवकुमार को निम्न रक्तचाप, शुगर और थॉयरॉयड की बीमारी है। उन्हें बताई गई दवाइयों की जरूरत है। कुछ कारणों से आज उन्हें खाना भी नहीं दिया गया है। उनसे एक ही साथ तीन-तीन लोग पूछताछ करते हैं।
एएसजी नटराज ने कहा कि धन शोधन का अपराध स्वयं में स्वतंत्र अपराध है। इसके साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 120(बी) भी है। अभियुक्त की ओर से जो कहा जा रहा है कि केवल इनकम टैक्स का आरोप है, वो सही नहीं है। हाईकोर्ट की रोक केवल इनकम टैक्स एक्ट के तहत की कार्रवाई के लिए है। एएसजी नटराज ने डीके शिवकुमार की जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय देने की मांग की। तब सिंघवी ने कहा कि डीके शिवकुमार हाईकोर्ट के आदेश के बाद ईडी के समक्ष आए लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सितंबर 2018 में ईडी ने डीके शिवकुमार और दिल्ली के कर्नाटक भवन के कर्मचारी हनुमंथैया समेत कुछ अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। यह मामला 2018 में इनकम टैक्स विभाग द्वारा डीके शिवकुमार के खिलाफ बेंगलूरू के ट्रायल कोर्ट में दायर आरोप पत्र के आधार पर दर्ज किया गया था। इसमें करोड़ों की टैक्स चोरी और हवाला लेन-देन का आरोप था। इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने शिवकुमार की ईडी समन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी थी। इसके बाद वे ईडी के समक्ष पेश हुए थे।