अमेरिका में इस बार बड़े उत्साह के साथ मनाई गई दिवाली

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अमेरिका में क़रीब 42 लाख भारतीय हैं, जो मुख्यतया बड़े शहरों -न्यू यॉर्क, शिकागो, कैलिफ़ोर्निया अर्थात लॉस एंजेल्स, बे एरिया-सान फ़्रानसिस्को, टेक्सास में ह्यूस्टन और डलास, फ़्लोरिडा में मियामी, एटलांटा, बोस्टन आदि में उच्च पदों पर आसीन है।



लॉस एंजेल्स 28 अक्टूबर (हि.स.)। अमेरिका में इस साल दिवाली का पर्व बड़े जोश-खरोश के साथ मनाया गया। धनतेरस से भैया दूज तक इस पांच दिवसीय (25 से 29 अक्टूबर) मनाए जा रहे पर्व के तीसरे दिन दीपावाली महोत्सव पर पूर्व में  न्यू यॉर्क के टाइम स्क्वायर से पश्चिम में लॉस एंजेल्स के डिजनीलैंड में अनेकानेक रंगारंग कार्यक्रमों में बड़ी तादाद में लोगों ने भाग लिया।
दीपावली के इस महापर्व पर प्रवासी भारतीयों ने अपने-अपने घरों के अंदर और बाहर में दीप जलाए। साथ ही रंगबिरंगी रोशनी से अपने-अपने घरों को सज़ा कर अपने आस पास के पड़ौसियों और मित्रों को यह अहसास दिलाने की कोशिश की रोशनी का यह पर्व ख़ुशियों और मौज मस्ती का त्योहार है।
विदित हो कि अमेरिका में क़रीब 42 लाख भारतीय हैं, जो मुख्यतया बड़े शहरों -न्यू यॉर्क, शिकागो, कैलिफ़ोर्निया अर्थात लॉस एंजेल्स, बे एरिया-सान फ़्रानसिस्को, टेक्सास में ह्यूस्टन और डलास, फ़्लोरिडा में मियामी, एटलांटा, बोस्टन आदि में उच्च पदों पर आसीन है।
दो दशक पहले आए  गुजराती पंडित जगदीश राजगौर बताते हैं कि भारत से आकर बसे  एक प्रवासी भारतीय की सैदेव इच्छा रहती है कि भारतीय पर्वों में दीपावली के बारे उनके अमेरिका में पले बढ़े बच्चों को जानकारी हो और साथ ही उन्हें अपनी  संस्कृति के बारे में जानकारी हो। यों तो भारत से आए विभिन्न समुदायों में गुजराती, मराठी, तेलुगु, तमिल, जैन, सिख तथा बौद्ध धर्म के अनुयाई अपने अपने रीति रिवाज सौल्लास मनाते हैं, लेकिन दीपावली ही एक मात्र ऐसा पर्व है, जिसे सभी चाव से मनाते हैं।
इस अवसर पर लोग अपनी-अपनी वेशभूषा में दिखाई पड़े। लॉस एंजेल्स से चालीस मील दूर आरटीशिया में लघु भारत के रूप में विख्यात ‘सेरिटास’ में बाज़ार में भारत जैसी चहल पहल थी, खास तौर पर मिठाई की दुकानों पर ख़ूब भीड़ देखने को मिली।
जानकार  प्रवासी भारतीय बताते हैं कि इस बार अमेरिकी और चीनी लोगों में इस पर्व के बारे में जानने और इसके तमाम पक्षों की जानकारी हासिल करने की उत्कंठा  का कारण टेक्सास में मोदी-ट्रम्प की वह एतिहासिक रैली है। इस रैली में पहली बार दूर दराज़ से पच्चास हज़ार से अधिक प्रवासी भारतीयों को एक मंच पर लाया गया था।  इस रैली में भारत के सभी समुदायों के लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। इस  रैली के आयोजकों के मन में तब और आज भी एक ही भाव है कि वह कैसे दीपावली जैसे इन पर्वों की गरिमा, इसके संदेश – असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ  ‘वसुधेव क़ुटुम्बकम’ ज़रिए लोगों को जोड़ सकें। लोगों को भारतीय संस्कृति का बोध करा सकें। इसके लिए बे एरिया में माउंटेन व्यू उपनगर में जगह जगह सड़कों के किनारे रोशनी की गई, तो तेल के दीपक जलाए गए। भारत की तरह अमेरिका में  प्रवासी भारतीयों ने प्रशासन और पुलिस की अनुमति के साथ सेंट्रल पार्क और खुली जगह पर आतिशबाज़ी की।
जानकार बताते हैं कि शनिवार और रविवार, लगातार दो दिन छुट्टी के होने के कारण इस बार घरों को सजाने और अपने अमेरिकी,  एशियाई और यूरोपीय मित्रों को घरों में, मंदिरों में गणेश-लक्ष्मी पूजन के समय सौल्लास आमंत्रित करने का अच्छा मौक़ा मिला। इनमें अमेरिकी और चीनी मित्रों ने ज्यादा उत्सुकता दिखाई।
इस मौके पर भारतीय रेस्तरां में भी ख़ासा भीड़ दिखाई पड़ी। भारतीय लोग अपनी परम्परागत वेशभूषा में दिखाई पड़े। इन रेस्तरां में अमेरिकी और चीनी लोगों के अलावा अन्य देशों के लोगों ने भारतीय व्यंजनों का खासा लाभ उठाया।

 


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