नई दिल्ली, 21 नवम्बर (हि.स.)। सरकार की ओर से गुरुवार को बताया गया कि देशभर में अब तक केवल 8,400 मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वितरित किए गए हैं, जबकि अन्य मछुआरों तक पहुंच बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राजधानी में विश्व मत्स्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मत्स्य मंत्री गिरिराज सिंह ने घोषणा की है कि कई उपायों के बीच सरकार ने एक अल्पकालिक ऋण सुविधा प्रदान की थी, जो 2018-19 में पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों के लिए उपलब्ध थी। उन्होंने कहा कि देश में अब तक 8,400 से अधिक मछुआरों को केसीसी मिला है। यह संख्या बहुत कम है क्योंकि देशभर में करीब दो करोड़ मछुआरे हैं।
गिरिराज सिंह ने कहा कि मछली किसानों की आय बढ़ाने के लिए माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में मछली किसानों की आय को पांच गुना तक बढ़ाना है और इसलिए इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है। हम समीक्षा करने जा रहे हैं और अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठा रहे हैं।
गिरिराज सिंह ने कहा कि बजट 2018-19 में सरकार ने पशुपालन किसानों और मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड(केसीसी) सुविधा के विस्तार की घोषणा की थी ताकि उन्हें अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल सके। हालांकि इस सुविधा के कार्यान्वयन के लिए आरबीआई के दिशा-निर्देश जारी करने में जागरुकता की कमी और देरी के कारण मछली पालन करने वाले किसानों को केसीसी वितरित नहीं किए जा सके।
इस मौके पर पशुपालन और मत्स्य विभाग सचिव रजनी सेखरी सिब्बल ने कहा कि चीन जैसे पड़ोसी देश कानून का अभाव होने के कारण भारतीय समुद्री संसाधनों का लाभ उठा रहे हैं। मंत्रालय ने राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन (विनियमन और प्रबंधन) विधेयक 2019 और मछली में बीमारी को नियंत्रित करने के लिए एक और मसौदा तैयार किया है, जो वर्तमान या अगले सत्र में संसद में चर्चा के लिए आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि समुद्री मत्स्य विनियमन का उद्देश्य उच्च समुद्रों में भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र और भारतीय मछली पकड़ने के जहाजों में मत्स्य पालन को विनियमित और प्रबंधित करना है और समुद्री मछली संसाधनों के जिम्मेदार और दीर्घकालिक टिकाऊ और इष्टतम उपयोग के लिए उन्होंने कहा।
पशुपालन और मत्स्य पालन राज्यमंत्री संजीव कुमार बाल्यान ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र पर ध्यान दिए बिना किसानों की आय को दोगुना करना संभव नहीं है और राष्ट्रीय मछली विकास बोर्ड को उत्तर भारत में मछली की खेती को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में बोर्ड ने पर्याप्त काम किया है और इसके परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मत्स्य पालन के क्षेत्र में बहुत आगे है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। मछली उत्पादन वर्तमान में लगभग 13 मिलियन टन है।
उल्लेखनीय है कि मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दो प्रमुख विधेयकों का मसौदा तैयार किया है, जिन्हें संसद के अगले सत्र में रखे जाने की उम्मीद है। नेशनल मरीन फिशरीज (रेगुलेशन एंड मैनेजमेंट) बिल 2019 और मछली में बीमारियों को नियंत्रित करने वाले अन्य बिल को अभी कैबिनेट से मंजूरी मिलनी बाकी है।