सदर अस्पताल के इमरजेंसी में आठ माह पहले मर चुके डॉक्टर करते हैं इलाज
मरीजों का इलाज ना केवल भगवान भरोसे हो रहा है, बल्कि यहां इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का इलाज करने के लिए आठ माह पहले ब्रेन हेमरेज से मर चुके डॉक्टर आते हैं। इसका खुलासा कर रहा है अस्पताल में लगाया गया आपातकालीन डॉक्टरों की कर्तव्य सूची। सदर अस्पताल अधीक्षक के हस्ताक्षर से प्रिंट करवा कर ओपीडी में दो सूची लगाया गया है।
बेगूसराय,24 जून(हि.स.)। बिहार के बेगूसराय सदर अस्पताल को कायाकल्प योजना के तहत भले ही बिहार में प्रथम स्थान और इनाम मिल गया है। लेकिन यहां कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।
मरीजों का इलाज ना केवल भगवान भरोसे हो रहा है, बल्कि यहां इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का इलाज करने के लिए आठ माह पहले ब्रेन हेमरेज से मर चुके डॉक्टर आते हैं। इसका खुलासा कर रहा है अस्पताल में लगाया गया आपातकालीन डॉक्टरों की कर्तव्य सूची। सदर अस्पताल अधीक्षक के हस्ताक्षर से प्रिंट करवा कर ओपीडी में दो सूची लगाया गया है।
ओपीडी भवन में इमरजेंसी रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास लगाये गये आपातकालीन सेवा में डॉक्टरों की इस कर्तव्य तालिका में बुधवार को दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक तथा रविवार की रात आठ बजे से सोमवार की सुबह आठ बजे तक डॉ चक्रवर्ती चौधरी (डॉ सी चौधरी) की ड्यूटी लगाई गई है। यही डॉ चक्रवर्ती चौधरी आपातकालीन सेवा के सीनियर सिटीजन ओपीडी में सोमवार से शनिवार तक भी मरीजों का समुचित इलाज करते हैं।
जबकि पटना में सड़क किनारे गिरे डॉ चक्रवर्ती चौधरी की मौत ब्रेन हेमरेज के कारण चार दिन तक कोमा में रहने के बाद 16 अक्टूबर 2018 को रुबन मेमोरियल हॉस्पिटल पटना में हो गई। इसी तरह चर्म विभाग के एक मात्र चिकित्सक डॉ हरेराम कुमार को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी बनाये जाने के बाद सदर अस्पताल में चर्म रोगों का इलाज बंद हो गया है, रोज दर्जनों मरीज अस्पताल से वापस लौट रहे हैं। लेकिन अधीक्षक ने सोमवार से शनिवार तक के स्कीन ओपीडी सूची में उनका नाम दर्ज है।
सोमवार को सदर अस्पताल में इलाज कराने आये नुसरत जहां, मो शकील, मुकेश यादव एवं गंगा आदि ने बताया कि यहां सबकुछ उपर वाले के भरोसे चल रहा है। नौ बजे के बाद आने वाले डॉक्टर सिर्फ औपचारिकता पूरी करते हैं। अनमने ढंग से दो-चार दवा लिख भी दिया जाता है तो सभी दवा काउंटर पर दिया नहीं जाता है। अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर जाना पड़ता है तो महीनों पूर्व बना आईसीयू मरीजों का मुंह चिढ़ा रहा है।