जालंधर, 21 नवम्बर (हि.स.)। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज की पीएचडी स्कॉलर रूबिया खुर्शीद ने हर्बल मेडिसिन तैयार की है, जो डायबिटीज का सस्ता और पक्का इलाज़ करेगी। रुबिया ने अमेरिका में अपनी पेटेंट हर्बल दवा की फार्मूलेशन 15 नोबेल पुरस्कार विजेताओं, 6000 साइंटिस्ट्स और 600 से अधिक फार्मेसी इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ साझा की।
यह अवसर था टेक्सास अमरीका के हेनरी बी गोंजालेज कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दुनिया के प्रतिष्ठित फार्मेसी सम्मेलन ऐऐपीएस (अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंटिस्ट्स) फार्म साई 360 का । वैज्ञानिक का वर्क “स्व-नैनो इमल्सीफाइंग ड्रग डिलीवरी सिस्टम को ठोस बनाने के लिए एक वाहक के रूप में सिंबिओटिक्स की भूमिका की खोज” था । रुबिया की मेडिसिन, जो पूरी तरह से गैर-सिंथेटिक है और जिसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं है, का लक्ष्य घातक समझी जाती डायबिटीज बीमारी को बहुत ही सस्ती, पक्की और कम मात्रा की दवाई से नियंत्रण में लाना है।
जल्द ही मानवता के सामान्य लाभ के लिए इस पेटेंट के लिए फाइल हो चुकी दवा का व्यावसायीकरण भी हो जाएगा | वह चाहती हैं कि सभी चिकित्सा फॉमूलेशन्स को बहुत ही किफायती प्रोडक्ट्स में विकसित किया जाए ताकि उनका उपयोग आसान व सस्ते तरीके से किया जा सके। उसकी दवा दो महत्वपूर्ण घटकों में आसानी से उपलब्ध है: हल्दी और फ्रेंडली बैक्टीरिया (प्रो-बायोटिक्स)।
वांछित उत्पाद प्राप्त करने के लिए रूबिया ने दोनों की घुलनशीलता को बढ़ाया, इनसे इमल्शन बनाया गया और उनकी घुलनशीलता से इसे ठोस और स्थिर बनाया| इन प्रक्रियाओं के लिए उसने गैर विषैले पदार्थ को प्राथमिकता दी। रुबिया के प्रोडक्ट से पहले खुराक जो पहले 500 मिली ग्राम हुआ करती थी, वह अब घटकर 5 मिलीग्राम हो गई है। वास्तव में एक प्रोफेशनल एसोसिएशन के रूप में अमेरिका की इस एसोसिएशन का उद्देश्य जन स्वास्थ्य में सुधार करने वाले उत्पादों और उपचारों को विकसित करने के लिए फार्मास्यूटिकल वैज्ञानिकों की क्षमता को बढ़ाना है।
रूबिया को भी ऐसे फार्मूलेशन को विकसित करने की गहरी इच्छा है जो मधुमेह के रोगियों तक पहुंच सकें। उनके सामाजिक रूप से उपयोगी प्रोडक्ट के प्रति रूबिया को बधाई देते हुए एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल ने उन्हें इस तरह के शोध जारी रखने के लिए प्रेरित किया। बाग-ए-मेहताब, श्रीनगर (जेएंडके) की एलपीयू में पीएचडी स्कॉलर रुबिया एलपीयू, जिसने उसे एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना काम करने के लिए निर्देशित किया, में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान देना चाहती है। वह आगे कैंसर के इलाज पर एक और महत्वपूर्ण शोध जारी रखना चाहती है।
उक्त सम्मेलन में फाइजर, ल्यूपिन, एस्ट्राजेनेका, बायोकॉन, इवोनिक, ब्रोकर और पर्किन एल्मर सहित शीर्ष फार्मेसी उद्योगों के प्रभारी भी मौजूद थे । उनके शोध कार्य को दर्शकों ने खूब सराहा । रुबिया वर्तमान में एलपीयू में सीनियर डीन डॉ मोनिका गुलाटी और डॉ सचिन कुमार की देखरेख में ओरल बायो-उपलब्धता के लिए नैनो कैरियर के विकास पर काम कर रही है।
एलपीयू में पीएचडी स्कॉलर के रूप में वह पहले ही ड्रग डिस्कवरी टुडे, यूरोपियन जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी, जर्नल ऑफ ड्रग डिलीवरी साइंस और टेक्नोलॉजी सहित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 9 महत्वपूर्ण शोध पत्र प्रकाशित कर चुकी हैं।