आत्म-निर्भर भारत के लिए ‘आर एंड डी’ एक प्रमुख तत्व: धर्मेन्द्र प्रधान
नई दिल्ली, 29 जून (हि.स.)। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इंडियन ऑयल का अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) केंद्र की वर्षों की अनवरत कोशिश से पेट्रोलियम अनुसंधान एवं विकास के लिए एक अत्याधुनिक शोध संस्थान के रूप में विकसित हुआ है। यह भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के स्वदेशीकरण पर ध्यान देता रहा है।
प्रधान ने सोमवार को आईएमटी, सेक्टर- 67, फरीदाबाद में दूसरे अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) परिसर के रूप में इंडियन ऑयल के अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकास और परिनियोजन (तैनाती) केंद्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधान ने कहा कि इंडियन ऑयल के आर एंड डी केंद्र ने प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2282 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार यह नया केंद्र लगभग 59 एकड़ जमीन पर बना है। इस नए परिसर में इंडियन ऑयल के आरएंडडी द्वारा विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन और उनकी तैनाती पर मुख्य तौर पर ध्यान दिया जाएगा और यह सेक्टर -13, फरीदाबाद में मौजूदा परिसर के साथ मिलकर काम करेगा।
प्रधान ने कहा कि इंडियन ऑयल का यह आरएंडडी केंद्र वैकल्पिक, स्वच्छ और स्वदेशी ऊर्जा समाधानों के लिए एक प्रयोगशाला होगा। भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को साकार करने और प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत के सपने को भी पूरा करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। नए परिसर में अनुसंधान के बुनियादी ढांचे में वैकल्पिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे- ईंधन सेल, हाइड्रोजन, गैसीकरण एवं सौर ऊर्जा अनुसंधान, अर्ध-वाणिज्यिक नैनो-सामग्री उत्पादन इकाई, पेट्रो-रसायन में स्केल-अप, प्रायोगिक प्लांट, उत्प्रेरक जैव प्रौद्योगिकी आदि के अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं और प्रायोगिक प्लांट शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र के इस परिसर में पारंपरिक ऊर्जा के साथ ही गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस नये केंद्र का उद्देश्य कई फ्रंटलाइन और पेट्रो-रसायन, बैटरी , ऊर्जा भंडारण उपकरण, जैव-ऊर्जा- ग्रीनहाउस गैस (CO2) पर कब्जा, उत्प्रेरक या ईंधन कोशिकाओं के लिए नॉवेल नैनो सामग्री, गतिशीलता और स्थिर अनुप्रयोगों के लिए हाइड्रोजन उत्पादन के तरीके और ईंधन सेल जैसी सनराइज प्रौद्योगिकियों का स्वदेशीकरण करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कृषि-अवशेषों को स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तित करने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक और विकास मापदंडों में जबरदस्त सुधार हुआ है। हम हरियाणा को देश का एक अग्रणी अनुसंधान एवं विकास केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को आत्म-निर्भर भारत अभियान का प्रमुख तत्व बताते हुए उन्होंने इंडियन ऑयल से राज्य में अपशिष्ट-से-ऊर्जा कार्यक्रमों को और गति प्रदान करने का आग्रह किया और राज्य को वैकल्पिक ऊर्जा समाधान में वैश्विक मॉडल बनाने के लिए काम करने को कहा है।
प्रधान ने कहा कि कचरे को ऊर्जा में बदलने के लिए इसको अलग करने का समुदाय-आधारित मॉडल सभी के लिए जीत की स्थिति होगी। राज्य में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का दोहन करने की बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान भारत ने दुनिया को दवाओं की आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि देश में पेट्रो-रसायन की मांग बढ़ रही है और हमें पेट्रोलियम उत्पादों का आयात कम करना होगा। साथ ही प्रधान ने उद्योग से भारत को पेट्रोरसायन का केंद्र बनाने की दिशा में काम करने और देश को आत्म-निर्भर बनाने का आह्वान किया है।