दो साल पहले बिजली गिरने से बिखरा था देवरिया महादेव मंदिर का शिखर, लटके पत्थरों से हादसे का खतरा
चित्तौड़गढ़, 21 जुलाई (हिस)। वैसे तो पुरातत्व विभाग चित्तौड़ दुर्ग की धरोहर के संरक्षण का दावा करता है, लेकिन वास्तविकता इससे कुछ और है। इन दिनों विश्व धरोहर पर बिजली गिरने के मामले सामने आए हैं, जिसमें पुरातत्व विभाग ने तत्काल कीर्ति स्तम्भ की सुरक्षा को लेकर उपाय भी कर दिया, लेकिन विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग स्थित ऐतिहासिक धरोहर देवरिया महादेव मंदिर पर 2 वर्ष पूर्व गिरी बिजली के मामले में बड़ी लापरवाही देखने को सामने आ रही है। बिजली गिरने की घटना के बाद पुरातत्व विभाग के अधिकारी एक बार वहां पहुंचे लेकिन दोबारा सुध नहीं ली। वहीं मन्दिर के शिखर पर पत्थर अब भी लटके हुए हैं, जो कभी भी नीचे गिर सकते हैं तथा फिर कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इसके संरक्षण को लेकर भी पुरातत्व विभाग दो वर्ष की लंबी अवधि में कुछ नहीं कर पाया है।
जानकारी में सामने आया है कि विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। इनके रख रखाव का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है। लेकिन पुरातत्व विभाग इनकी सुरक्षा को लेकर पुख्ता कदम नहीं उठा पा रहा है। हाल ही के दिनों में आमेर व बाद में चित्तौड़ दुर्ग पर बिजली गिरने की घटनाएं हुई थी। चित्तौड़ दुर्ग स्थित कीर्ति स्तंभ पर दो बार बिजली गिरी, जिसमें सामने आया कि इस पर तड़ित चालक आठ वर्ष से बन्द होने की बात सामने आई। इसकी सुरक्षा को लेकर तो पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते होते हुए तड़ित चालक लगाने का निर्णय कर लिया। लेकिन दुर्ग पर आबादी के बीच में स्थित देवरिया महादेव मंदिर पर करीब 2 वर्ष पूर्व गिरी बिजली के मामले में आज तक पुरातत्व विभाग कोई निर्णय नहीं कर पाया है, नहीं इस ऐतिहासिक इमारत के रख रखाव को लेकर कोई प्रस्ताव तैयार हो पाया है। जानकारी में सामने आया है कि दुर्ग की आबादी के बीच में प्राचीन देवरिया महादेव मंदिर है। यह मंदिर कुकड़ेश्वर कुंड के ऊपर की तरफ पड़ता है। किवदन्तियों के अनुसार यहां का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां शिवलिंग स्थापित है तथा इसके सामने ही भगवान गणेश की नृत्य की मुद्रा की आकर्षक प्रतिमा भी है। इस मंदिर पर करीब 2 वर्ष पूर्व बिजली गिरने की घटना हुई थी। इसमें मंदिर के शिखर पर बिजली गिरी। इसमें शिखर बुरी तरह से बिखर गया तथा इसका बड़ा हिस्सा नीचे आ गिरा था। इससे मंदिर परिसर की फर्श भी टूट गई थी। वहीं शिखर का एक बड़ा टुकड़ा ऊपर ही पड़ा हुआ है जो कभी भी किसी भी प्राकृतिक घटना में नीचे गिर सकता है। मंदिर के पुजारी व स्थानीय लोगों की माने तो पुरातत्व विभाग को घटना की जानकारी दी गई थी। इस पर एक बार अधिकारी देखने आए हैं लेकिन उसके बाद किसी ने यहां झांक कर भी नहीं देखा है। ऐसे में यह स्मारक उपेक्षित पड़ा हुआ है। इस ओर किसी ने ध्यान भी नहीं दिया है। पुरातत्व विभाग के अधिकारी जरूर प्रस्ताव भेजने की बात कहते हैं लेकिन तीन दिन पूर्व कीर्ति स्तम्भ के मामले में जोधपुर से आए सुपरिटेंडेंट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि चित्तौड़गढ़ से उन्हें किसी भी प्रकार का प्रस्ताव इन 2 वर्षों में नहीं मिला है।
जानकारी में सामने आया कि थी बड़ी ऊंचाई से शिखर से पत्थर नीचे गिरे थे। इससे मंदिर परिसर में ही फर्श का एक पत्थर क्षतिग्रस्त हो गया था। पुरातत्व विभाग ने इस फर्श को भी सही करवाना उचित नहीं समझा। आज भी यह टूटे हुए फर्श उस हादसे की कहानी बयां करता है। शिखर के जो पत्थर टूटे थे उन्हें भी मंदिर के प्रवेश द्वार के यहां पटक रखा है।
देवरिया महादेव मंदिर के महंत रूपगिरी महाराज ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह काफी प्राचीन मंदिर है। यहां पर करीब 40 वर्षों से पूजा-अर्चना कर रहा हूं। बिजली गिरने की घटना के बाद यहां पर 2 वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग के अधिकारी आए थे। पत्थर एक तरफ किए थे। उस दौरान कहा था कि इसकी मरम्मत करवाएंगे, लेकिन आज तक इसमें कुछ नहीं हुआ। शिखर पहले वाली स्थिति में ही है, जैसा टूटा था वैसा ही है। लेकिन पहले यहां चौकीदार तैनात होते थे, सफाई कर्मचारी भी नियमित आते थे। लेकिन 20-30 साल से यहां ना तो चौकीदार है ना ही सफाई कर्मचारी।
इस संबंध में वरिष्ठ संरक्षण सहायक आरएल जितरवाल ने कहा देवरिया महादेव मंदिर पर भी मरम्मत और तड़ित चालक लगाने का प्रस्ताव है। यहां की मरम्मत भी करवाई जाएगी। गत दिनों जोधपुर से आए आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के सुपरिटेंडेंट ने भी यहां का निरीक्षण किया था।