वाराणसी,19 नवम्बर(हि.स.)। काशीपुराधिपति की नगरी में देव दीपावली पर्व पर शुक्रवार शाम अर्धचंद्राकार उत्तरवाहिनी सदानीरा के दोनों छोरों पर देवलोक सरीखा नजारा रहा। आदिकेशव घाट से लेकर सामने घाट के बीच लगभग आठ किमी की दूरी में गंगा के पथरीले 84 घाटों पर और गंगधार में आतिशबाजी के बीच लाखों दीपों की लड़ियां एक साथ अठखेलियां करने लगी तो लगा कि जमीं पर सितारे उतर आये हैं।
काशी की इस सरजमी पर ही स्वर्गलोक है। गंगा के किनारे कल-कल करती समानन्तर ज्योर्तिगंगा अद्भभुत और आध्यात्मिक छंटा बिखेर रही थी।
इस पल के लाखों देशी विदेशी पर्यटकों के साथ स्थानीय नागरिक साक्षी बने। पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध, राजेन्द्र प्रसाद घाट, पंचगंगा,राजघाट,खिड़कियाघाट और अस्सी घाट पर सर्वाधिक भीड़ देखी गयी। दशाश्वमेध घाट पर इण्डिया गेट की आकर्षक अनुकृति बनाकर अमर जवान ज्योति जलाई गई। 39 जीटीसी वाराणसी, एयरफोर्स सेलेक्शन बोर्ड वाराणसी की ओर से देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इसके पूर्व दुनिया के सबसे बड़े जलपर्व के खास लम्हों को आंखों से निरखने और साक्षी बनने के लिए अपराह्न बाद से ही राजनेता, विदेशी मेहमान, देशी विदेशी पर्यटक, प्रशासनिक अफसरों के अलावा लाखों स्थानीय नागरिकों का रेला गंगा घाटों की ओर उमड़ने लगा।
दशाश्वमेध घाट पर सतरंगी विद्युत लड़िया, आतिशबाजी, फूलों के वन्दनवार से सजे गेट, रेड कारपेट पर भव्य गंगा आरती देख श्रद्धालु अभिभूत नजर आये। पर्व पर गंगा के दोनों किनारों पर लगभग 15 लाख अधिक दीये जलाने से महसूस हो रहा था कि जैसे गंगा तट पर सितारे टांक दिये गये हो, गंगा के गले में ज्योर्तिमालाओं की लड़िया देख कार्तिक पूर्णिमा का चांद भी भूतभावन की प्रेयसी गंगा का सौन्दर्य देख शर्मा गयीं। यह अद्भुत नजारा देख पर्यटकों के साथ नागरिक और अतिथि इसे यादों में सजोने के लिए कैमरे और सेलफोन से फोटो लेने में जुटे रहे।
इस पर्व पर पंचनद तीर्थ पंचगंगा घाट के ‘हजारा दीप स्तंभ भी लोगों में आकर्षण का केन्द्र बना रहा। धर्म-अध्यात्म और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत इस पर्व पर काशी के प्रमुख घाटों पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी। लोग दोपहर बाद से ही घाटों पर बैठकर घंटों इस ऐतिहासिक क्षण की प्रतीक्षा करते रहे। हजारों लोगों ने गंगा में नाव और बजड़े पर बैठ कर इस अद्भुत नजारे को देखा।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा पूजन, दुग्धाभिषेक कर भव्य महाआरती
प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति के अगुवाई में देव दीपावली पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा के अष्टधातु की 108 किलो की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार देशी विदेशी फूलों से किया गया। शाम को मां गंगा की 51 लीटर दूध से दुग्धाभिषेक कर ब्राह्मणों ने गंगा की महाआरती की। इस दौरान कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के रूप में मां गंगा को चंवर डुलाती रही। यहां पुलिस के जाबांज शहीदों की याद में माह पर्यन्त जल रही आकाशदीप का समापन दीपदान के साथ किया गया।
इसी तरह दशाश्वमेध घाट पर ही गंगा सेवा निधि की ओर से प्रो.चन्द्रमौली उपाध्याय, पं. श्रीधर पाण्डेय व निधि के प्रमुख अर्चक्र आचार्य रणधीर के नेतृत्व में 21 ब्राह्मणों ने भगवती गंगा का वैदिक रीति से पूजन किया। राम जन्म योगी के शंखनाद के साथ निधि के 21 ब्राह्मणों, दुर्गा चरण इण्टर कालेज की 42 कन्याओं ने रिद्धि सिद्धि के रूप में गंगा की महाआरती की। इसमें काशी विश्वनाथ डमरु दल के स्वयंसेवकों ने अलग शमा बांधा। निधि की ओर से 51 हजार दीपों से घाट का कोना—कोना सजाया गया। पर्व पर घाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने अपने सुर से गंगा के दरबार में हाजिरी लगाई।
चेतसिंह किलाघाट पर लेजर लाइट का आकर्षण
देव दीपावली पर्व पर चेतसिंह किलाघाट पर लेजर लाइट का आकर्षण लोगों में छाया रहा। उत्सव के दौरान गंगा की लहरों और किनारों पर दीये जलने के बाद 20-20 मिनट के लेजर-शो का प्रदर्शन हुआ। पर्यटन विभाग की ओर से इसे खास बनाया गया। अन्य घाटों पर फूलों की लड़ियों के साथ रंगोलियां और हल्दी-चंदन से अल्पनाएं बनाई गई। देव दीपावली पर शहर के 36 कुंडों को भी दीपों से सजाया गया। घाट, कुंड ही नहीं बल्कि मकानों, दुकानों, सार्वजनिक पार्कों, सड़कों पर भी लोग दीप जलाकर महापर्व की खुशियां साझा करते रहे। वरुणा नदी के किनारे कॉरिडोर स्थित शास्त्री घाट पर भी देवताओं के स्वागत के लिए लाखों दीपों की रोशनी की गई। इसमें विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय लोगों,समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी दीये उत्साहपूर्ण माहौल में जलाये।
अयोध्या में भव्य राममंदिर बनने पर खुशी, पुष्कर तालाब पर जलाये दीप
अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बनने की खुशी में और देव दीपावली पर्व पर शुक्रवार शाम अस्सी स्थित पुष्कर तालाब पर दीपोत्सव असंख्य दीपों से किया गया। जागृति फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित देव दीपावली समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि लोक भूषण पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ जयप्रकाश मिश्र व संयोजक रामयश मिश्र ने प्रथम दीप जलाकर किया। इसके पश्चात हजारों दीप तालाब की सीढ़ियों पर जगमगाने लगे। ब्रह्मा वेद विद्यालय के बटुकों ने भगवान ब्रह्मा और पुष्कर तालाब की आरती उतारी।