मरुस्थलीकरण को रोकने वाले वैश्विक सम्मेलन का भारत करेगा आयोजन

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भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित इस 12 दिवसीय कार्यक्रम में 196 देशों के 3000 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ 94 देशों के पर्यावरण मंत्रियों और सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के प्रधानमंत्री राल्फ गोन्साल्वेस सहित 5,000 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे।



नई दिल्ली, 27 अगस्त (हि.स.)। मरुस्थलीकरण को रोकने के उद्देष्य से संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में शामिल पक्षों के सम्मेलन की 14वीं बैठक (यूएनसीसीडी सीओपी-14) 2 से 13 सितंबर के बीच दिल्ली-एनसीआर के अंतर्गत ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित होगी।

भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित इस 12 दिवसीय कार्यक्रम में 196 देशों के 3000 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ 94 देशों के पर्यावरण मंत्रियों और सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के प्रधानमंत्री राल्फ गोन्साल्वेस सहित 5,000 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन कन्वेंशन कार्यान्वयन समीक्षा समिति (सीआरआईसी) के 18वें सत्र और विज्ञान व प्रौद्योगिकी समिति (जीएसटी), यूएनसीसीडी की 14वीं बैठक के साथ-साथ आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे।

मंगलवार को केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने प्रेसवार्ता में कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए प्रयासरत है। दुनिया की एक तिहाई भूमि मरुस्थलीकरण की ओर बढ़ रही है। भारत इसे रोकने की दिशा में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि देश की 29 प्रतिशत जमीन का मरुस्थलीकरण हुआ है। सरकार अपने प्रयासों से 2030 तक 50 लाख हेक्टेयर भूमि को उपजाऊ बनाएगी। इसके अलावा सरकार एक उत्कृष्टता केन्द्र उत्तराखंड में स्थापित करेगी। प्रेसवार्ता में पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो, मंत्रालय में सचिव सीके मिश्रा, संयुक्त सचिव अनिल कुमार जैन, विशेष सचिव जिगमेट थापा और वन महानिदेषक सिद्धांत दास शामिल हुए।

इस वैश्विक सम्मेलन में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे से उत्पादक भूमि के नुकसान को नियंत्रित करने के लिए विशेष रूप से पिछले दो वर्षों के दौरान हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। 2018-2030 के लिए कन्वेंशन के लक्ष्यों की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए करीब 30 निर्णयों पर भी सहमति बनने की उम्मीद है। ये लक्ष्य हैं – मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण से प्रभावित आबादी के जीवन में सुधार लाना, प्रभावित पारिस्थितिक तंत्र में सुधार लाना, सूखे के प्रभावों को कम करना और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाना।

 


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