दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिजीवी वर्ग ने उपराज्यपाल से लगाई राहत के लिए गुहार

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नई दिल्ली, 13 मई (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिजीवियों ने कोरोना संकट के समय में दिल्ली सरकार के भेदभाव पूर्ण रवैये के खिलाफ उपराज्यपाल अनिल बैजल से राहत के लिए गुहार लगाई है। इनका आरोप है कि दिल्ली सरकार नगर निगम में कार्यरत फ्रंट लाइन वॉरियर का वेतन रख उन्हें परेशान कर रही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े इन बुद्धिजीवियों में शामिल डॉ आईएम कपाही (पूर्व यूजीसी सदस्य), डॉ एन.के. कक्कड़(दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष), डॉ एके भागी (डीयू कार्यकारी परिषद के पूर्व सदस्य), वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गोगना (डीयू कार्यकारी परिषद के पूर्व सदस्य), डॉ वीएस नेगी (डीयू कार्यकारी परिषद के सदस्य) तथा अधिवक्ता नरेश बेनीवाल की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि संकट के इस समय में भी दिल्ली सरकार अनुचित रूप से दिल्ली की तीनों नगर निगमों को आवश्यक अनुदान राशि जारी नहीं कर रही है।
इन बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार के इस रवैये से कोरोना से जंग में जुटे दिल्ली नगर निगमों के डॉक्टरों, अस्पतालों के कर्मचारियों, सफाई कर्मचारियों को तीन से चार महीने का वेतन तक नहीं मिल पाया है। कमोबेश यही हालत नगर निगमों के स्कूलों के शिक्षकों व उनमें कार्यरत व सेवानिवृत्त शिक्षकों व कर्मचारियों की भी है।
इन बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह बेहद दुखद है कि दिल्ली, जो कि कोरोना संक्रमण का प्रमुख महानगर है, में काम करने वाले एक सफाईकर्मी को सरकार उसका मासिक वेतन तक प्रदान नहीं कर रही है। ये वो लोग हैं जो इस दिल्ली को बचाने के लिए रोज अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। आज अगर इनके परिवार ही पाई-पाई को मोहताज होंगे तो यह बेहद अमानवीय होगा। ठीक इसी तरह डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ भी इन दिनों आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है और इसके बावजूद लगातार कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे हुए है। कुछ ऐसी ही हाल नगर निगम के स्कूल शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों का भी है जोकि दिल्ली सरकार की ओर से अनुदान जारी न किये जाने के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।
अपने पत्र में इन बुद्धिजीवियों ने उपराज्यपाल से अनुरोध किया है कि यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वो इन कोरोना वॉरियर को इस संकट के समय में बढ़-चढ़कर काम करने के लिए प्रोत्साहित करें न कि वेतन न मिलने के कारण धरने-प्रदर्शन के लिए। सरकार को इनके हक मारने के बजाय इन्हें प्रोत्साहित करना होगा। इससे पहले भी दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों का अनुदान रोका जा रहा जिससे 2500 से अधिक शिक्षक कर्मचारी प्रभावित है। इन्हें दिल्ली सरकार आंशिक राहत देकर अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। इस समूह ने उपराज्यपाल से इस विषय में हस्तक्षेप करते हुए जल्द राहत का मार्ग प्रशस्त करने की मांग की है ताकि संकट के इस समय में राहत बचाव कार्य में जुटे कोरोना वॉरियर का मनोबल मजबूत हो।

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