दिसम्बर से नहीं हुआ वेतन का भुगतान दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में
नई दिल्ली, 07 मार्च (हि.स.)। दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज के कई वरिष्ठ शिक्षक रविवार को एकत्रित हुए और उन्होंने दिसम्बर से रुके वेतन को जारी करने की मांग की। इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार से अनुदान मिलता है लेकिन इन कॉलेजों को दिसम्बर 2020 के बाद कोई अनुदान नहीं मिला है। इस वजह से शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है।
दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले इन 12 कॉलेजों के कुछ वरिष्ठ शिक्षकों, जिनमें डॉ.सुबोध कुमार, डॉ.सुजीत कुमार, डॉ.राजेश उपाध्याय और डॉ.नवीन कुमार आदि शामिल थे, ने वर्चुअल माध्यम से एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों में हम अविलंब धनराशि जारी करने की मांग करते हैं और नियमित रूप से वेतन जारी करने की बात को भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। अनियमित वेतन और मेडिकल बिल जैसे बिलों के भुगतान न होने से इन कॉलेजों के शिक्षक और कर्मचारी अनिश्चिय की स्थिति में जी रहे हैं।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि दिल्ली सरकार के 100 प्रतिशत वित्त पोषित 12 कॉलेजों में वेतन रोकने का यह मामला वैधानिक और नैतिक मानदंडों का उल्लंघन है। इन सम्मानित संस्थानों की शैक्षणिक पारिस्थितिकी पर इस तरह की अनियमितता बहुत भारी और विपरीत असर डालती है। हजारों संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगाई गई है, जिसकी वजह से चिकित्सा बिल, छात्रवृत्ति, टेलीफोन और बिजली बिल जमा नही हो सके हैं और कष्ट निरंतर बढ़ रहा है। सरकारी फंडिंग को एक या अन्य किसी मामले से जोड़कर टालने से (जैसे गवर्निंग बॉडी फॉर्मेशन, छात्रों की फीस, प्रोबिटी आदि) इन कॉलेजों के कामकाज पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सर्वविदित है कि यह विश्वविद्यालय वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देने का कार्य करता रहा है, यह ‘घोस्ट’ ‘ की जगह नहीं है। छात्रों के फिस को सरकारी वित्तीय अनुदान से किसी भी प्रकार से जोड़ना निजीकरण को बढावा देना है और यह भारत में सामाजिक न्याय आधारित उच्च शिक्षा के विचार के खिलाफ है।
शिक्षकों ने कहा कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली सरकार द्वारा अपने अधीन करने का भी कड़ा विरोध करते हैं और एक शताब्दी से अधिक पुरानी हमारी इस यूनिवर्सिटी को खत्म करने के किसी भी प्रयास का हम इसी तरह पुरजोर विरोध करेंगे।