नई दिल्ली, 04 दिसम्बर (हि.स.)। राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले 40 लाख लोगों को मालिकाना हक देने संबंधी विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई। अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित बनाने वाले विधेयक को राज्यसभा ने बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
राज्यसभा में गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति अधिकार मान्यता) विधेयक-2019 पर चर्चा की शुरुआत करते और जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वर्ष 2008 की अधिसूचना में 1797 अनधिकृत कालोनियों की पहचान की गई थी। वर्तमान बिल में 66 कॉलोनियों को छोड़कर शेष 1731 कालोनियों को नियमित बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन 66 कॉलोनियों को विधेयक से बाहर रखा गया है वे वनक्षेत्र, सड़क मार्ग वाली सरकारी भूमि, उच्च करंट वाली लाइनों के नीचे रहने वाली बस्तियां शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन कालोनियों में रह रहे लोगों को राहत देने के लिए अलग से प्रक्रिया बनाई जाएगी।
पुरी ने कहा कि नियमित हुई कालोनियों में मालिकाना हक महिला अथवा पुरुष व महिला को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने फैसला किया कि वह दिल्ली की 1731 अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को एक बार में मालिकाना हक प्रदान करेगी। 31 दिसम्बर तक इन कॉलोनियों की सीमा रेखा तय करते हुए एक डिजिटल मैप तैयार किया जाएगा। इसके बाद रेजिडेंट वेलफेयर से जुड़े लोगों को आपत्ति करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा। इसके बाद एक अन्य पोर्टल पर विभिन्न दस्तावेजों के माध्यम से मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू होगी।
उन्होंने कहा कि इस दौरान 15 प्रतिशत संपत्तियों में मालिकाना हक को लेकर विवाद भी सामने आएंगे। सरकार उचित माध्यम से इन विवादों को सुलाझा लेगी।