दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा “भारत में न्यायपालिका की भूमिका” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
नई दिल्ली, 30 मार्च: दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा दिनांक 30 मार्च 2021 को “भारत में न्यायपालिका की भूमिका” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रामशरण गौड़ की अध्यक्षता में किया गया तथा मुख्य वक्ता के रूप में माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शम्भुनाथ सिंह श्रीवास्तव उपस्थित रहे। श्रीमती कीर्ति दीक्षित द्वारा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
न्यायमूर्ति शम्भुनाथ सिंह श्रीवास्तव ने भारत के इतिहास में न्यायपालिका की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अपना वक्तव्य प्रारंभ कियाI उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में राजा प्रकांड विद्वानों की सहायता से विवादों को हल करते हुए राज्य में न्याय व्यवस्था बनाते थे। न्यायपालिका, भारतीय शासन प्रणाली का तीसरा आधार स्तम्भ है। भारतीय न्यायपालिका के संगठन को समझाते हुए उन्होंने बताया कि इसमें सबसे शिखर पर उच्चतम न्यायालय, उसके नीचे उच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के नीचे अधीनस्थ न्यायालय (जिला न्यायालय) विभिन्न जिलों में स्थापित किए गए हैं। आज के सन्दर्भ में न्याय पालिका की भूमिका पर चर्चा करते हुए उन्होंने भारत की संवैधानिक व्यवस्था को विस्तार में श्रोताओं के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि देश में संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखना न्यायपालिका का कर्तव्य है। न्यायपालिका ने समय-समय पर संविधान की रक्षा हेतु कई नियम पारित किए हैं। जब भी संविधान पर अतिक्रमण हुआ है तब-तब सर्वोच्च न्यायलय द्वारा संविधान को सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने जनहित याचिका (Public Interest Litigation) की अवधारणा को भी विस्तार में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी प्रकार के अधिकारों का हनन होने से रोकना तथा उनका संरक्षण न्यायालय का दायित्व है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने अनुभव को श्रोताओं से साझा करते हुए उन्होंने देश में कानून व संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखने में न्यायपालिका की भूमिका को बखूबी समझाया।
डॉ. रामशरण गौड़ ने माननीय न्यायमूर्ति शम्भुनाथ सिंह श्रीवास्तव को अत्यंत बारीकी एवं सरलता से न्यायपालिका की भूमिका को वेबिनार से जुड़े श्रोताओं के समक्ष रखने हेतु धन्यवाद अर्पण किया। उन्होंने न्यायमूर्ति शम्भुनाथ सिंह श्रीवास्तव द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता को भारत का धर्म शास्त्र घोषित करने हेतु भूरि- भूरि प्रसंशा की।
तत्पश्चात दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्री आर. के. मीना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ इस ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का समापन किया गया।