डॉ. रामशरण गौड़ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि समाज में मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बहुत कम है अतः वर्तमान में भारत की प्रगति के लिये मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन की आवश्यकता पर ज़ोर देना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता मिलने के बाद देशवासियों में राष्ट्रभक्ति, देशप्रेम की भावना खत्म होती जा रही है । हम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को भूलते जा रहे हैं यही वजह है कि हम अपने मौलिक कर्तव्यों का निर्वहन करने के प्रति सचेत नहीं हो पा रहे हैं । यह बहुत स्पष्ट है कि जब तक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के प्रयोग के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करेंगे तब तक हम भारतीय समाज में लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत नहीं कर पाएँगे । उन्होंने सभी से राष्ट्र के प्रति अपनी कर्तव्य भावना को बढ़ाने का निवेदन किया । साथ ही, उन्होंने मौलिक कर्तव्यों में ग्यारवें संशोधन पर भी विस्तार में चर्चा की ।
संगोष्ठी के अंत में श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रदान किए गए ।
अंत में श्री आर. के. मीणा, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दि.प.ला. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।