दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा गाँधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 02 अक्टूबर 2020 को वेबिनार

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नई दिल्ली, 02 अक्टूबर:दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा गाँधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 02 अक्टूबर 2020 को वेबिनार द्वारा “आज के सन्दर्भ में महात्मा गाँधी के आदर्शों का महत्त्व” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन तथा आलेख लेखन प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा की गयी। कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में डॉ. रामशरण गौड़,अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड, मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति शम्भुनाथ श्रीवास्तव, पूर्व न्यायाधीश , इलाहाबाद उच्च न्यायलय, मुख्य वक्ता के रूप में श्री महेश चन्द्र शर्मा, उपाध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड व भूतपूर्व महापौर, दिल्ली नगर निगम तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में श्री सुभाष चन्द्र कंखेरिया, सदस्य, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड उपस्थित रहे। साथ ही दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्यों ने विशेष रूप से उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई ।
श्री सुभाष चंद्र कंखेरिया ने श्रोताओं का सम्बोधन करते हुए कहा कि आज के समय में गाँधी जी के आदर्शों पर चलते हुए देश की उन्नति हेतु गाँवों के विकास को केन्द्रित करना आवश्यक है। गाँवों का उद्योगीकरण करके तथा वहाँ सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर की स्थापना करके उन्हें विकासशील बनाया जा सकता है। इससे गाँवों में रहने वाले लोगों को बेहतर रोज़गार के साधन मिलेंगे तथा गाँवों से लोगों का पलायन भी कम होगा ।
श्री महेश चन्द्र शर्मा ने अपने वक्तव्य में श्रोताओं को बताया कि सत्य और अहिंसा गाँधी जी के आदर्श थे। वे शिक्षा को समाज सुधार का आधार मानते थे। उन्होंने अहिंसा का मंत्र देते हुए स्वदेशी की शिक्षा दी। महिला सशक्तिकरण को उन्होंने विशेष महत्व दिया। उन्होंने महिलाओं विशेषकर विधवाओं को खादी आश्रम में चरखा चलाकर सूत कातने का कार्य प्रदान करके उन्हें रोज़गार मुहैया कराया। गाँधी जी ने सैकड़ों मील की यात्रा करके नमक कानून के विरुद्ध आवाज़ उठायी। इसके साथ ही, असहयोग, खेड़ा, खिलाफत, चंपारन आदि आंदोलन गाँधी जी ने अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के साथ चलाये और अंग्रेजी हुकुमत को पूरज़ोर टक्कर दी।  उन्होंने श्रोताओं से कहा कि महात्मा गाँधी जी की जयंती के अवसर पर हम सभी को अपने राष्ट्रपिता के सिद्धांतों व आदर्शों पर चलते हुए अपने देश के विकास हेतु निरंतर प्रयासरत रहने का संकल्प लेना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति शम्भुनाथ श्रीवास्तव ने अपने बहुमूल्य वक्तव्य में श्रोताओं को गाँधी जयंती के महत्व को समझाते हुए गाँधी जी के आदर्शों पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भगवदगीता सदैव ही गाँधी जी के लिए प्रेरणास्रोत रही। वह हमेशा से ही रामराज्य की स्थापना करना चाहते थे। उन्होंने गाँधी जी के रामराज्य की कल्पना को समझाते हुए बताया कि उस समय हर तरफ शोषण, ऊँच-नीच, निरक्षरता जैसी कुरीतियाँ फैली हुई थीं। ऐसे समय में गाँधी जी ने जगह-जगह घूमकर लोगों में चेतना जगाई, उन्हें शिक्षा की राह दिखाई, अस्पृश्यता को खत्म करने हेतु आंदोलन किये, कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता जगाई तथा राष्ट्र को एकजुट किया। उन्होंने आत्मनिर्भरता के सन्दर्भ में गाँधी जी के सिद्धांतों को श्रोताओं के सम्मुख रखते हुए बताया कि ग्राम और कुटीर उद्योग की स्थापना, ग्रामीण भारत के विकास हेतु आंदोलन, कृषि विकास आदि ऐसे उदाहरण हैं जिनसे गाँधी जी की दूरदर्शता का बोध होता है।
डॉ. रामशरण गौड़ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में गाँधी जी के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण वृतांतों को श्रोताओं से साझा करते हुए तत्कालीन भारतीय समाज की स्थिति का वर्णन किया। उन्होंने बताया किस प्रकार भारत कई वर्षों तक शोषण का शिकार बना रहा और किस प्रकार गाँधी जी ने भारतीय मूल्यों को अपना हथियार बनाकर इस शोषण का अंत किया। उन्होंने श्रोताओं को यह भी बताया कि गाँधी जी ने सदैव सर्वहित को पीछे रखकर समाज हित के लिए कार्य किये। उन्होंने कहा कि गाँधी जी ने विश्व को स्वावलंभन की शिक्षा दी। गाँधी जी ने सामाजिक विकास हेतु निचले तबके के विकास को केन्द्रित किया। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने कहा कि आज के समय में जब  हमारे नैतिक मूल्यों का हनन होता जा रहा है गाँधी जी के सिद्दांतों और आदर्शों को अपनाकर अपने देश के विकास में सहयोग देते हुए हमें अपने नैतिक और सामाजिक मूल्यों की रक्षा करने का दृढ़ निश्चय करना चाहिए।
संगोष्ठी के समापन के पश्चात डॉ. रामशरण गौड़ द्वारा दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा आयोजित की गयी द्विभाषी आलेख लेखन प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा की गयी तथा देशभर से प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों व विजेताओं को हार्दिक बधाई दी गई ।
अंत में श्री आर. के. मीणा, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।

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