दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा शहीद दिवस के उपलक्ष्य में “भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में शहीदों का योगदान” विषय पर परिचर्चा का आयोजन

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नई दिल्ली, 23 जुलाई: दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा दिनांक 23 मार्च 2021 को “भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में शहीदों का योगदान” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रामशरण गौड़ की अध्यक्षता में किया गया तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्य श्री सुभाष चंद्र कंखेरिया कार्यक्रम में उपस्थित रहे। दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्य श्री परीक्षित डागर के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में रामजस महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से सह-प्राध्यापक डॉ. प्रकाश उप्रेती उपस्थित रहे तथा कवि एवं लेखक श्री अरविंद पथिक द्वारा काव्य पाठ व श्री दीपक श्रीवास्तव एवं समूह द्वारा अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गीत गायन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन व अमर शहीदों की प्रतिमा पर पुष्पार्पण तथा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गयाI

डॉ. रामशरण गौड़ द्वारा शहीद दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होने हेतु सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया गया। उन्होंने देश की स्वतंत्रता हेतु अमर शहीदों द्वारा किए गए निस्वार्थ बलिदान पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की।

श्री दीपक श्रीवास्तव एवं समूह ने कवि व लेखक श्री अरविंद पथिक द्वारा रचित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का कुलगीत श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। साथ ही, उन्होंने भारतवर्ष के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए देशभक्ति गीतों से सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का मन मोह लिया। उनके द्वारा रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता “कलम, आज इनकी जय बोल” तथा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के देशभक्ति गीत “कदम-कदम बढ़ाए जा” की अद्भुत प्रस्तुति से पूरा सभागार करतल ध्वनि से गूंज उठा।

श्री अरविंद पथिक ने अमर शहीदों को याद करते हुए देश के लिए उनके बलिदान, उनके देशप्रेम से ओत-प्रोत अपनी काव्य प्रस्तुति से सभी को भावविह्ल कर दिया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर आधारित उनकी कविता ने सम्पूर्ण सभागार को वीर रस से सरोबार कर दिया।

डॉ. प्रकाश उप्रेती ने भारत के अमर शहीद राजगुरु और सुखदेव के जीवन दर्शन से श्रोताओं का ज्ञानवर्धन व प्रोत्साहन किया। उन्होंने बताया कि इन अमर  शहीदों ने देश की स्वतंत्रता हेतु अपनी आयु से कई गुना अधिक बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हम भारतीयों का इतिहास बोध बहुत संकुचित है। हमें अपने अमर शहीदों के बारे में जानने, उनको पढ़ने, उनसे सीखने की जरूरत है। कैसे एक छोटे से बालक के अंदर अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से अपने देश को आज़ाद करने का दृढ़ संकल्प जागा, कैसे उन्होंने अपने स्वार्थ को परे रख राष्ट्र और राष्ट्रवासियों के लिए अपने जीवन की कभी परवाह ही नहीं की। उन्होंने कहा कि यह शहीद दिवस सच्चे मायने में तब ही सफल होगा जब हम शहीद भगत सिंह के विचारों की क्रांति को जानेंगे, उन्हें याद करेंगे तथा उनका अनुपालन करेंगे। किसी एक दिन शहीदों को याद कर लेने भर से हम उनके बलिदान के साथ न्याय नहीं कर सकते हैं। उनके विचारों को जीवंत रखना हमारा ध्येय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीदों के बलिदान, योगदान, संघर्ष, उनकी मानसिकता तक पहुँचने के लिए हमें उनसे जुड़े इतिहास को खंगालने, किताबों को पढ़ने की जरूरत है। शहीद भगत सिंह की जेल डायरी को पढ़ते हुए शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसकी आंखों से अश्रु ना आ जाएं। इस भारतवर्ष की स्थापना के लिए बहुत से लोगों से यातनाएं सही, अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। आज हम जहाँ निडर खड़े है हमें वहाँ पहुँचने के लिए कई वीर बलिदानियों ने अपना लहू बहाया है। अगर हम उनके विचारों, भावना, बलिदान को प्रेरणा की रूप में लेकर आगे बढ़ेंगे तो यह सच्चे मायने में शहीद दिवस की सफलता होगी।

श्री सुभाष चंद्र कंखेरिया ने अमर शहीदों को नमन करते हुए श्रोताओं को भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान से परिचित करवाया। उन्होंने शहीदों के बलिदान से जुड़े कई वृतांतों को साझा किया। उन्होंने शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खान आदि शहीदों के त्याग को नमन किया।

श्री परीक्षित डागर ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं से शहीदों द्वारा देश के लिए जो बलिदान दिया गया है, उनके पदचिह्नों पर चलते हुए, उनसे प्रेरणा लेते हुए, देश के प्रति सम्पूर्ण योगदान देने का प्रण लेने का निवेदन किया। उन्होंने गहन चिंतन करते हुए आज के कार्यक्रम द्वारा अर्जित ज्ञान से प्रेरणा लेने तथा हृदय में देशप्रेम का प्रकाश सदैव जीवंत रखने का भी आह्वान किया।

सभी वक्ताओं के वक्तव्य के पश्चात अमर शहीद नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. प्रकाश उप्रेती तथा कवि श्री अरविंद पथिक द्वारा प्रतिभागियों से प्रश्न पूछे गए। प्रश्नोत्तरी के अंत में गणमान्य अतिथियों द्वारा महिला दिवस एवं शहीद दिवस के अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तरियों के विजेताओं को ट्राफी व प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

तत्पश्चात दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्री आर. के. मीना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ इस ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणामयी कार्यक्रम का समापन किया गया।

 


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