डॉ. वेदप्रकाश द्वारा विश्व साक्षरता दिवस मनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए अपने वक्तव्य का प्रारंभ किया गया । उन्होंने भारत देश में शिक्षा की स्थिति पर चर्चा करते हुए नई शिक्षा नीति के दृष्टिकोण पर विस्तार में चर्चा की । उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के बोझ को कम कर उनके कौशल विकास पर ज़ोर देने वाली है। यह नीति अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को आकर्षित करने वाली होगी । उन्होंने कहा कि इस नीति में छात्र अनुसंधान आदान प्रदान का प्रावधान भी शामिल किया गया है । बदलते वैश्विक मानक को देखते हुए शिक्षा नीति में बदलाव की अति आवश्यकता थी । यह शिक्षा नीति इसी दिशा में उठाया गया अहम कदम है । इसमें विद्यार्थियों को ग्लोबल स्टूडेंट्स बनाने के साथ-साथ उन्हें अपनी जड़ों से भी जोड़े रखने का प्रावधान है ।
प्रो. ए. वी. कौर ने प्राचीन शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए नई शिक्षा नीति से जुड़े सूत्रों के बारे में श्रोताओं को विस्तार में बताया । उन्होंने बताया कि हमें सही दिशा में कार्य करने के लिए आत्मबल का ज्ञान होना अनिवार्य है यही वजह है कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है । साथ ही साथ इसमें मल्टी एंट्री व एग्जिट का भी प्रावधान प्रदान किया गया है । उन्होंने उदाहरण देते हुए नई शिक्षा नीति की सार्थकता, ग्रेडिंग, मूल्यांकन, कौशल विकास आदि तथ्यों को संक्षेप में श्रोताओं से साझा किया ।
डॉ. रामशरण गौड़ ने नई शिक्षा नीति से जुड़े अहम पहलूओं से श्रोताओं का परिचय करवाया । उन्होंने भारतीय संस्कृति, इतिहास, भाषा के अध्ययन पर जोर डालते हुए कई तथ्यों के माध्यम से सामाजिक परिवर्तनों और शिक्षा के परिदृश्य पर अपने विचार प्रकट किए ।
अंत में श्री आर. के. मीणा, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दि.प.ला. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।