श्री महेश चंद्र शर्मा द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित वक्ता एवं श्रोतागणों का स्वागत कर व्याख्यान के विषय से सभी को परिचित कराया गया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की अमेरिका प्रवास के दौरान दिए गये व्यक्तव्य की चर्चा की और रामायण की स्मृतियों के माध्यम से समरसता पर प्रकाश डाला। उन्होंने समरसता के विघटन के कारणों पर विस्तार से चर्चा की तथा इसके समाधान हेतु सामाजिक एकता पर बल देने का विचार रखा।
श्री मुन्ना लाल जैन ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बताया कि समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करके ही समरसता के विघटन को रोका जा सकता है जिसमें महिलाओ एवं युवाओ की भागीदारी अहम है। उन्होंने युवाओ को सामाजिक एकता को बनाये रखने हेतु योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
श्री सुभाष चन्द्र कंखेरिया ने अपने व्यक्तव्य में महर्षि दयानंद के सामाजिक सिद्धांतों का वर्णन करते हुए सभी श्रोतागणों से महर्षि दयानंद के आदर्शों पर चलने का आहवान किया तथा बाबा साहेब डॉ. भीमराव राव आंबेडकर के सामाजिक सुधारो की चर्चा करते हुए समरसता बनाये रखने का निवेदन किया।
अंत में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की बवाना उपशाखा के प्रभारी श्री आनंद प्रकाश शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।