दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में “राष्ट्र भक्त विवेकानंद” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन

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नई दिल्ली, 12 जनवरी दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 12 जनवरी 2021 को “राष्ट्र भक्त विवेकानंद” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रामशरण गौड़ के सानिध्य तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्या डॉ. मालती की अध्यक्षता में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से सहायक प्राध्यापक डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जनार्दन यादव उपस्थित रहे। सुश्री नीरू द्वारा सरस्वती वंदना से वेबिनार का शुभारम्भ किया गया।

डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने स्वामी विवेकानंद जी के विषय में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी द्वारा लिखे गए लेख के माध्यम से स्वामी जी का परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी का राष्ट्रवादी चिंतन गरीबों और दरिद्रों की सेवा में था। गाँधी जी भी आजीवन स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरित होकर राष्ट्र कल्याण हेतु क्रियाशील रहे। स्वामी विवेकानंद जी ने स्वर्ग या मोक्ष की आकांशा को छोड़कर अपना पूरा जीवन माँ भारती की सेवा में अर्पित किया तथा देशवासियों को दुर्बलता एवं दरिद्रता से मुक्ति दिलाकर उन्हें राष्ट्र व धर्म के कार्य में लगाने हेतु क्रियाशील रहे। वे ऐसे युवा सन्यासी थे जिन्होंने समूचे विश्व को भारतीय संस्कृति के गुणों से परिचित करवाकर भारत को गौरवान्वित किया। उन्होंने शिक्षा, भौतिक विकास, महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने विवेकानंद जयंती को सार्थक बनाने हेतु स्वामी जी के दर्शन, शिक्षा व संकल्प को पूरा करने के लिए राष्ट्र निर्माण के कार्य में लग जाने हेतु श्रोताओं से निवेदन किया ।

डॉ. जनार्दन यादव ने स्वामी विवेकानंद को व्यवहारिक वेदांत के परिचारक के रूप में परिचित करवाते हुए अपना वक्तव्य प्रारंभ किया। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि किस प्रकार विवेकानंद जी ने शिकागो में हुए धर्म सम्‍मेलन में भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म की विजय पताका फहरायी थी। वे मानते थे कि जो गरीबों और दरिद्रों की सेवा करते हैं ईश्वर उन्हीं में वास करते हैं। इसी विचार के साथ उन्होंने महामारी, प्राकृतिक आपदा, विपदा में फँसे लोगों की सेवा तथा देश में फैली दरिद्रता के निवारण हेतु रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। वे समष्टि में व्यष्टि को समाहित कर राष्ट्र चिंतन करते थे। उन्होंने आजीवन अपने आदर्शों और विचारों को पकड़ कर रखा तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए सर्वशिक्षा पर उन्होंने प्रबल ज़ोर दिया। राष्ट्र निर्माण हेतु विवेकानंद के चिंतन, दर्शन, सार्वभौमिक भाईचारे और आत्म-जागृति के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

डॉ. मालती ने अपने अध्यक्षीय भाषण में श्रोताओं को बताया कि विवेकानंद एक चेतना चक्रवात थे जोकि पश्चिम की श्रम समता से काफी प्रभावित थे तथा अपने देशवासियों में भी श्रम समता को जाग्रत कर उनकी दरिद्रता दूर करना चाहते थे। वे एक प्रखर वक्ता थे जो जानते थे कि आत्म ज्ञान से केवल हम अपना कल्याण कर सकते हैं परन्तु सम्पूर्ण राष्ट्र के विकास और कल्याण हेतु ज्ञान का प्रसार करना आवश्यक है । स्वामी विवेकानंद कर्म, देशहित, आत्म कल्याण और श्रम शक्ति पर विश्वास रखते थे तथा उन्होंने देश के प्रत्येक व्यक्ति के मन में राष्ट्र भक्ति को संजोया था और उनमें एक असीम उर्जा का प्रवाह किया था जिससे वे देशहित में क्रियाशील हुए। उन्होंने अपने अतुल्य धार्मिक ज्ञान, चिंतन और दर्शन के माध्यम से विज्ञान युग के तर्क संगत मानव को ब्रह्म चेज़, मुक्ति, माया, मानव, धर्मों को लेकर उनके असीमित ज्ञान से परिचित करवाया था।

डॉ. रामशरण गौड़ ने स्वामी विवेकानंद जी को सहृदय नमन कर अपने वक्तव्य का प्रारंभ किया। उन्होंने संगोष्ठी में उपस्थित सभी वक्ताओं को सारगर्मित व प्रभावित वक्तव्य द्वारा श्रोताओं का ज्ञानवर्धन एवं मार्गदर्शन करने हेतु धन्यवाद किया। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि विवेकानंद जी ने अपने धार्मिक चिंतन के माध्यम से भारत के जन-जन तक राष्ट्र चेतना एवं धार्मिक ज्ञान का संचार किया तथा संस्कृति, जीवन मूल्य, आध्यात्म, धर्म, भौतिक सम्पन्नता का सन्देश दिया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद द्वारा युवा चेतना को जागृत करते हेतु किये गए महत्वपूर्ण कार्यों से भी श्रोताओं को रूबरू करवाया। स्वामी जी का मानना था कि यह देश का युवा वर्ग ही है जो आने वाले समय में राष्ट्र के विकास को सही दिशा और शक्ति देगा। उन्होंने भारत को बौधिक सम्पन्नता और मानव जीवन मूल्यों से युवाओं को परिचित करवाया तथा आगे बढ़ राष्ट्र कल्याण में अपना सम्पूर्ण योगदान देने के लिए प्रेरित किया। डॉ. रामशरण गौड़ ने संगोष्ठी में उपस्थित सभी श्रोताओं से विवेकानंद जी के पथ पर चलकर अपने लक्ष्यों की प्राप्ति व राष्ट्र कल्याण हेतु क्रियाशील रहने का आह्वान किया ।

अंत में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्री आर. के. मीना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

कार्यक्रम के उपरान्त मुख्यालय सभागार में डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दि. ला. बो. की ओर से श्री आर. के. मीना, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी एवं दि.प.ला अधिकारियों तथा स्टाफ द्वारा स्वामी विवेकानंद जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि नमन करते हुए दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण किया गया I

 


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