दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा गुरु नानक जयंती के उपलक्ष्य में “गुरु नानक की वाणी में समरसता का सन्देश” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
नई दिल्ली, 28 नवम्बर: दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा गुरु नानक जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 27 नवम्बर 2020 को “गुरु नानक की वाणी में समरसता का सन्देश” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सानिध्य में व डॉ. मालती, पूर्व प्रधानाचार्य, कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में की गई तथा वक्ता के रूप में श्री जीत सिंह ‘जीत’, वरिष्ठ साहित्यकार एवं लेखक उपस्थित रहे । श्री आर. के मीना, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी द्वारा स्वागत भाषण तथा सुश्री नीरू द्वारा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाने से पूर्व वेबिनार में उपस्थित सभी गणमान्य जनों एवं श्रोताओं द्वारा 26/11 को हुए आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए अमर शहीदों को नमन करते हुए दो मिनट का मौन रख भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
श्री जीत सिंह ‘जीत’ ने एक ओमकार मंत्र के साथ अपने वक्तव्य का शुभारम्भ करते हुए श्रोताओं को गुरु नानक देव जी के दर्शन,उपदेशों, शिक्षा व सुझावों से परिचित करवाया। उन्होंने गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कथाओं को भी श्रोताओं से साझा किया। गुरु नानक देव जी ने सम्पूर्ण विश्व को सामाजिक समरसता का मार्ग दिखाते हुए ऊंच-नीच, भेद-भाव, जाति पंथ की रूढ़िवादी दीवारों को तोड़ा। उन्होंने विश्वभर में भ्रमण करते हुए मानवता के सन्देश के साथ कुरीतियों को नष्ट करने का मंत्र भी दिया। गुरु नानक जी ने मानवता हितकारी उपदेशों का पालन करते हुए एक आदर्श जीवन व्यतीत किया तथा सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की। उन्होंने छूत-अछूत की कुप्रथा का अंत करते हुए लंगर का प्रारम्भ किया जिसमे जाति के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी साथ बैठकर भोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक है।
डॉ. मालती ने गुरु नानक देव जी के बाल्यकाल व शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन की उल्लेखनीय कथाओं का वर्णन किया। उन्होंने बताया, किस प्रकार नानक जी ने समाज में फैली कुरीतियों व त्रासदियों को मिटाने के लिए स्वयं आदर्श बन समाज को जाग्रत किया। उन्होंने कहा कि ब्रह्म की प्राप्ति के लिए सत्य की स्थापना और झूठ का नाश ही एक मात्र मार्ग है। गुरु नानक देव केवल धर्म के व्याख्याकार नहीं थे बल्कि एक सामाजिक दर्शक व पथ प्रदर्शक थे। डॉ. मालती ने उस समय के सामाजिक परिदृश्य से भी श्रोताओं को परिचित करवाया तथा बताया कि किस प्रकार गुरु नानक देव जी ने एक आदर्श, कुरीति रहित, अखंड समाज की स्थापना हेतु आजीवन कार्यरत रहे।
डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड ने गुरु नानक देव जी को नमन कर अपने वक्तव्य का प्रारम्भ किया। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि गुरु नानक जी द्वारा दिए गए सन्देश समाज को आज के समय में भी समरसता का सन्देश देते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक गुरु को सदैव ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। आध्यात्मिक गुरु न केवल हमारे जीवन की जटिलताओं को दूर करके जीवन की राह सुगम बनाते हैं बल्कि सामाजिक बुराइयों को नष्ट कर सदाचार स्थापित करते हैं। सामाजिक भेदभाव को मिटाकर समाज में समरसता का पाठ पढ़ाने के साथ समाज को एकता के सूत्र में बांधने वाले गुरु नानक देव जी ने समाज का उद्धार कर आजीवन परलौकिक सुख-समृद्धि के लिए श्रम, शक्ति एवं मनोयोग के सम्यक नियोजन की प्रेरणा दी।
अंत में अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन किया गया।