दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती के अवसर पर संगोष्ठी (वेबिनार) का आयोजन
नई दिल्ली, 06 सितम्बर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती के अवसर पर दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा दिनांक 5 सितम्बर 2020 को जन-साधारण हेतु संगोष्ठी (वेबिनार) का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड द्वारा की गई तथा डॉ. रुचिका राय मदान, सदस्य, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड तथा बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा उपस्थित रहे ।
डॉ. रुचिका राय मदान ने 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाने के पीछे जुड़ी हुई कहानियाँ श्रोताओं से साझा करते हुए बताया कि वह शिक्षक ही है जो हमें जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। आज इस महामारी के समय में भी शिक्षक अपने घरों में रहते हुए छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। किताबें और शिक्षक ही हैं जो छात्रों में उत्कृष्टता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। उन्होंने नयी शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए बताया कि अब छात्रों को बचपन से ही रोबोटिक्स, वैदिक गणित, कौशल विकास जैसी तकनीक सिखाई जाएगी। उन्होंने सभी से अपने शिक्षकों द्वारा दिखाए गए पथ पर चलने, उनका आदर करने तथा उनके द्वारा प्रदान किये गए ज्ञान को गंभीरता से ग्रहण करने का निवेदन किया।
सुदेश वर्मा ने श्रोताओं को डॉ. राधाकृष्णन जी के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाओं से रूबरू करवाया गया। उन्होंने बताया कि बच्चों को विश्व की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों का ज्ञान प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। यह उन्हें दूसरों से जोड़ती है, उनके मानसिक एवं व्यवहारिक विकास में भी योगदान प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा निरंतर चलती रहती है अतः जो भी हमें जीवन में सही मार्ग दिखाए, हमें सही गलत की सीख दें वे सभी हमारे लिए पूजनीय हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक ईश्वर तुल्य, रक्षक एवं मार्ग दर्शक हैं। वह हमें जीवन का सही अर्थ समझाते हैं, हम में मानसिक चेतना जगाते हैं तथा हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं इसलिए हमें सदैव ही शिक्षकों का आदर करना चाहिए तथा उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने कहा कि हम डॉ. राधाकृष्णन जी को सच्ची श्रद्धांजलि उनके दिखाए गए मार्ग पर चलकर तथा उनके द्वारा प्रदान की गयी शिक्षा को ग्रहण करके ही दे सकते हैं।
डॉ. रामशरण गौड़ ने शिक्षक दिवस के महत्त्व को समझाते हुए डॉ. राधाकृष्णन जी द्वारा भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति के उत्थान के लिए किये गए कार्यों को श्रोताओं से साझा किया। उन्होंने बताया कि डॉ. राधाकृष्णन ने भारतीय संस्कृति को प्रमाणित किया तथा पूरे विश्व को उसका महत्व समझाया। उन्होंने आध्यात्मिक मूल्यों को भौतिक एवं वैज्ञानिक मूल्यों से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में लोकसंस्कृति का ज्ञान, कर्मठता, कामशीलता, सदाचार, चरित्र निर्माण, नैतिक शिक्षा जैसे गुणों का संचार एक शिक्षक द्वारा ही किया जाता है। उन्होंने श्रोताओं से आग्रह किया कि वह सभी महापुरुषों को जाने, उन्हें पढ़े, उनके द्वारा प्रदान की गयी शिक्षा को अमल में लाएं तथा उनके द्वारा दिखाए गए पथ पर चलें।
वक्तव्य के समापन पर वक्ताओं द्वारा श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर प्रदान किया गया।
अंत में आर. के. मीणा, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दि.प.ला. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।