नई दिल्ली, 23 जून (हि.स.)। दुष्कर्म और पॉक्सो के मामलों की जांच को तय समय में पूरा करने के मामले में दिल्ली शीर्ष पर है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पॉक्सो के 58 फीसदी मामलों में दिल्ली पुलिस ने दो महीने के भीतर जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल कर देती है, जबकि दूसरे स्थान पर हरियाणा पुलिस है, जिसने 56 फीसदी मामलों की जांच दो माह में पूरी की।
वर्ष 2018 में कानून में किए गए संशोधन के तहत दुष्कर्म व पॉक्सो के मामले में दो माह के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने का प्रावधान किया गया था। इसी क्रम में तीसरे स्थान पर 51 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश है। गृह मंत्रालय की ओर से विभिन्न राज्यों की पुलिस को इस बाबत निर्देश जारी किए गए थे।
‘सीसीटीएनएस पोर्टल’ के आंकड़ों को लेकर गृह मंत्रालय की वेबसाइट ने इसे जारी किया हैं। इसमें बताया गया है कि दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज 58.3 फीसदी मामलों की जांच दो महीने के अंदर पूरी कर आरोपपत्र दाखिल किया जो कि अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड है, जबकि हरियाणा पुलिस 55.9 फीसदी के साथ दूसरे और 51 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा।
दो हजार से ज्यादा दुष्कर्म के मामले होते हैं दर्ज
राजधानी दिल्ली में हर वर्ष दो हजार से ज्यादा दुष्कर्म के मामले दर्ज किए जाते हैं। वर्ष 2018 में 2,199 मामले दुष्कर्म के दर्ज किए गए थे। इनमें से करीब 30 फीसदी मामले पॉक्सो के थे।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता अनिल मित्तल के अनुसार दुष्कर्म के मामलों में जांच के लिए पुलिस बड़ी गंभीरता से काम करती है। दिल्ली की प्रत्येक सब डिवीजन में इस तरह के मामले सुलझाने के लिए एक महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। दुष्कर्म व पॉक्सो के मामलों की जांच एसीपी स्तर के अधिकारी की मॉनिटरिंग में होती है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता अनिल मित्तल के अनुसार दुष्कर्म के मामलों में जांच के लिए पुलिस बड़ी गंभीरता से काम करती है। दिल्ली की प्रत्येक सब डिवीजन में इस तरह के मामले सुलझाने के लिए एक महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। दुष्कर्म व पॉक्सो के मामलों की जांच एसीपी स्तर के अधिकारी की मॉनिटरिंग में होती है।
जिले के डीसीपी को बनाया गया जवाबदेह
ऐसे मामलों में अगर दो माह के भीतर जांच पूरी नहीं होती तो इसकी जानकारी डीसीपी को देनी पड़ती है। अगले दो सप्ताह में जांच पूरी नहीं होने पर संयुक्त आयुक्त, तीन माह में विशेष आयुक्त और चार महीने बाद पुलिस आयुक्त को इसकी वजह बतानी पड़ती है। इसलिए पुलिस गंभीरता से इन मामलों की जांच समय सीमा के भीतर करती है।