नई दिल्ली, 14 जनवरी (हि.स.)। राजधानी दिल्ली में पिछले कई वर्षों से नगर निगमों के कर्मचारियों को काम के साथ-साथ अपने वेतन के लिए धरने प्रदर्शन भी करने पड़ते हैं, फिर भी पांच-पांच माह तक उनका पारिश्रमिक नहीं मिलता। यहां तक कि जिन रिटायर कर्मचारीयों का एकमात्र आसरा उनकी पेंशन होती है, वह भी महीनों तक नहीं आती। नगर निगम और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं लेकिन अभी तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है।
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और निगमों की लड़ाई से परेशान तीनों नगर निगमों की विभिन्न यूनियंस ने आज फेडरेशन ऑफ एमसीडी यूनियंस के बैनर तले बड़ा हिंदूराव अस्पताल में प्रदर्शन किया और कल सुबह 11 बजे सिविक सेन्टर से दिल्ली सचिवालय तक पैदल विरोध मार्च निकाल कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज्ञापन सौंपने का ऐलान किया जिसमें निगम के परामेडिक्स, नर्सिंग, सफाई, हॉर्टिकल्चर यादि यूनियंस के पदाधिकारी और कर्मचारी शामिल होंगे।
भारतीय मजदूर संघ के वित्त सचिव योगेंद्र राय ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि नगर निगमों के कर्मचारी पिछले पांच साल से अपने वेतन के लिए परेशान हैं। नगर निगमों और दिल्ली सरकार से हमारी चार प्रमुख मागें – निगम के सभी कर्मचारियों की सैलरी हर माह समय से आनी चाहिए। जो हमारे कर्मचारी सालों से काम कर रहे है उन्हें नियमित किया जाय। हमारे कर्मचारी बीस बीस साल से काम कर रहे है लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है। हम चाहते हैं तीनों नगर निगमों को फिर से एक किया जाए। नहीं तो कम से कम तीनों नगर निगमों का वित्तीय एकीकरण अवश्य होना चाहिए। चौथा, प्रॉपर्टी टैक्स की माफी योजनाएं बंद की जाए जिससे निगमों की आमदनी बड़े। यदि मांगे नहीं मानी गयी तो आंदोलन तेज किया जाएगा।”
दिल्ली सरकार तो इसके लिए निगम को ही दोषी बता रही है? के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वेतन न मिलने के लिए दिल्ली सरकार और नगर निगम दोनों दोषी है। दिल्ली सरकार निगमों को पैसे नहीं दे रही है। दिल्ली सरकार निगमों पर जो कर्ज बता रही है वह पैसा एमसीडी के ट्रिफिकेशन के समय निगमों को रिस्ट्रक्चरिंग के लिए दिया गया था जो वापस नहीं करना था। अब दिल्ली सरकार उसे वापसी वाला मानकर उस पर ब्याज पर ब्याज लगाकर बता रही है। यदि केजरीवाल जी को लगता है कि निगमों में भ्रस्टाचार है तो वे कर्मचारियों की सैलरी सीधे उनके खाते में डाल दें। नियम यह है कि निगमों को जो भी पैसा मिलता है वह राज्य सरकारों के माध्यम से ही मिलता है। कर्मचारी पांच पांच महीने अपनी सैलरी के लिए भटकते रहते है आखिर उनका भी परिवार है बच्चे है।घर का खर्च कैसे चलेगा?इसका स्थायी हल निकलना चाहिए। कल हम सिविक सेन्टर से लेकर सचिवालय तक पैदल विरोध मार्च निकालेंगे। यदि हमारी मांगे नही मानी गयी तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।”